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रब से निकटता हासिल करने के लिए ध्यान लगाकर करें ऐतकाफ : मुफ्ती कासमी

- ऐतकाफ के दौरान जायज नहीं होगा मस्जिद से बाहर निकलना कानपुर,01मई (हि.स.)। रमजान के पवित्र माह के आखिरी अशरा में दस दिन मुसलमान ऐतकाफ के लिए बैठते हैं, जिसमें सिर्फ रब की इबादत की जाती है। ऐतकाफ का उद्देश्य पूरा ध्यान लगाकर रब की निकटता हासिल करना होता है। इसी से मुताल्लिक लोगों के मन में तमाम सवाल उठते है। रब के बताए गए तरीकों के साथ उसमें किसी तरह की कोताही न हो। रोजे और इबादत के जरिए हम अपने रब को राजी कर लें। उसके बनाये हुए नियमों का उल्लंघन ना हो। इसको लेकर रोजेदार शरीयत हेल्पलाइन से रोजाना सवाल पूछ रहे हैं और उनको माकूल जवाब मिल रहे हैं। इसी कड़ी में शनिवार को सवालों के सही जवाब कुल हिन्द इस्लामिक इल्मी अकादमी कानपुर के जरिए अल-शरिया हेल्पलाइन से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के दौरान मुफ्ती इकबाल अहमद कासमी ने जवाब दिए। कुल हिन्द इस्लामिक इल्मी अकादमी कानपुर की अल-शरिया हेल्पलाइन से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्रश्न:- ज़कात अपने खानदान में किसी को दी जा सकती है? क्या ज़कात के पैसे अपने भाई, बेटी, दामाद, बीवी या फूफी(बुआ) को दी जा सकती है? उत्तर:- मालूम हो कि अपने सगे सम्बन्धियों (मां-बाप, दादा-दादी,नाना-नानी, संतान और उनकी नस्ल यानि पौत्र-पौत्री, नाति-नातिन आदि) को और इसी तरह मियां बीवी का एक दूसरे को ज़कात देना जायज़ नहीं है। इसके अलावा अन्य रिश्तेदार जैसे भाई, बहन,चच्चा, फूफी(बुआ), मामा, ख़ाला(मौसी) आदि और उनकी संतान को ज़कात देना जायज़ है बशर्ते कि वह ज़कात लेने के अर्ह हों, बल्कि ऐसा करने से दोहरा सवाब मिलता है, इसलिये इसमें ज़कात की अदायगी के साथ सिला रहमी (दया भाव) भी है, इसी तरह बहू और दामाद को भी ज़कात देना जायज़ है। प्रश्न:- ऐतकाफ करने वाला किसी के जनाज़े में जा सकता है? उत्तर:- मस्नून ऐतकाफ में मोतकिफ (ऐतकाफकर्ता) के लिये नमाज़े जनाज़ा में शिर्कत के लिये मस्जिद से बाहर निकलना जायज़ नहीं है, अगर कोई मोतकिफ (ऐतकाफकर्ता) जनाज़े में शिर्कत के लिये बाहर निकल गया तो उसका ऐतकाफ टूट जायेगा, और उसपर एक दिन के ऐतकाफ की क़ज़ा करना लाज़िम होगी और क़ज़ा ऐतकाफ में भी रोज़ा रखना लाज़िम होगा। प्रश्न :- क्या ऐतकाफ के दौरान इन्टरनेट पर अर्थात आनलाइन तरीके से कोई नौकरी की जा सकती है ? उत्तर:- ऐतकाफ का उद्देश्य पूरा ध्यान लगाकर अल्लाह तआला की निकटता हासिल करने के लिये उसकी इबादत करना है, लिहाज़ा ऐतकाफ के दौरान समस्त प्रकार की व्यस्तता छोड़कर अधिक से अधिक समय इबादत में गुज़ारना चाहिए, इस लिये ऐतकाफ के दौरान इंटरनेट के द्वारा आनलाइन नौकरी करना मकरूह है। प्रश्न:- ऐतकाफ के दौरान मोबाइल पर अगर किसी निकट सम्बन्धी या मित्र का फोन आ जाये तो बात करनी चाहिए या नहीं? उत्तर:-ऐतकाफ के दौरना निकट सम्बन्धी या मित्र से फोन पर ज़रूरी बात कर सकते हैं, खैरियत पूछ सकते हैं, बशर्ते कि वीडियो काल ना हो, इसी के साथ नामहरम (अजनबी) महिला से गुफ्तगू (बातचीत) की इजाज़त नहीं। ऐतकाफ के दौरान अधिकांश समय अल्लाह को याद करने, कुरआन की तिलावत(पढ़ने), इबादत और अल्लाह को राज़ी करने वाले कार्याें में व्यस्त रहना चाहिए, बेकार की बातों और कामों से परहेज़ करना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/महमूद/

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