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चार साल तक विभागीय जांच लटकाए रखने पर डीएम एटा को फटकार

प्रयागराज, 27 जनवरी (हि.स.)। अनावश्यक रूप से विभागीय जांच को लटकाने से नाराज हाइकोर्ट ने जिलाधिकारी एटा को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है कि किस वजह से कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच 2017 से अब लंबित रखी गई है। कोर्ट ने डीएम को स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है। स्पष्टीकरण न देने की स्थिति में उनको अदालत में हाजिर होना होगा। जिलाधिकारी एटा कार्यालय के वरिष्ठ लिपिक महेश यादव की याचिका पर न्यायमूर्ति अजय भनोट सुनवाई कर रहे हैं। याची के अधिवक्ता का तर्क था कि लंबे समय तक अनावश्यक रूप से विभागीय कार्यवाही को लंबित रखना, कर्मचारी को मानसिक प्रताड़ना देने के समान है। विभिन्न विधि व्यवस्था निर्धारित करते हुए उच्चतम न्यायालय का स्पष्ट मत है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी के विरुद्ध शुरू की गई विभागीय कार्यवाही छह माह में निस्तारित किया जाना चाहिए, अपवाद की दशा में यह समय सीमा ज्यादा से ज्यादा 12 माह तक हो सकती है। लेकिन वर्तमान मामले में कर्मचारी महेश यादव को 2017 में निलंबित करने के बाद दो बार एक समान आधार और कथित आरोपों में आरोप पत्र दिया गया। जिसका समय सीमा के अंतर्गत याची ने साक्ष्य समेत विस्तृत उत्तर भी दे दिया। लेकिन उक्त जांच और विभागीय कार्यवाही का निस्तारण चार साल बीत जाने के बाद भी नहीं किया गया। न्यायालय ने 10 फरवरी तक जिलाधिकारी से कार्यवाही के लंबित होने का स्पष्टीकरण देने का आदेश देते हुए चेतावनी दिया है कि यदि तय तिथि तक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया तो अगली तारीख पर जिलाधिकारी एटा को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में तलब किया जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन-hindusthansamachar.in

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