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देवी चंद्रघंटा, सौभाग्य गौरी के दरबार में श्रद्धालुओं ने लगाई हाजिरी, कोरोना से मुक्ति की गुहार

वाराणसी,15 अप्रैल (हि.स.)। चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन गुरूवार को श्रद्धालुओं ने कोरोना संक्रमण काल में रात्रि प्रतिबंध के चलते सुबह 06 बजे के बाद मां सौभाग्य गौरी और देवी चंद्रघंटा के दरबार में हाजिरी लगाई। दोनों मंदिरों में कोविड प्रोटोकाल का पालन कराते हुए श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया। श्रद्धालुओं ने मातारानी से कोविड महामारी से मुक्ति दिलाने के साथ घर परिवार में सुख शान्ति की गुहार लगाई। तीसरे दिन (तृतीया) को माँ दुर्गा के चन्द्रघण्टा रूप के दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालु चौक क्षेत्र स्थित दरबार में पहुंचे। दरबार में कोरोना संकट पर आस्था भारी पड़ गया। लोगों ने मंदिर प्रबंधन के अगुवाई में कोरोना प्रोटाकाल का पालन कर दर्शन पूजन किया। जगदम्बा के इस रूप के दर्शन पूजन से माना जाता है कि नरक से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही सुख, समृद्धि, विद्या, सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। इनके माथे पर घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र बना है। मां सिंह वाहिनी हैं। इनकी दस भुजाएं है। मां के एक हाथ में कमण्डल भी है। उधर, नवगौरी के दर्शन पूजन में सौभाग्य गौरी का श्रद्धालुओं ने विधिवत दर्शन पूजन किया। ज्ञानवापी परिसर के सत्यनारायण मंदिर में गौरी का दरबार है। देवी पुराण में माँ के इस रूप के दर्शन-पूजन का विशेष महत्व है। गृहस्थ आश्रम में महिलाओं के सुख-सौभाग्य की अधिष्ठात्री सौभाग्य गौरी हैं। महिलाए मां से पति के कल्याण की कामना करती हैं। नवरात्र के तीसरे दिन इन दोनो मंदिरों के अलावा नगर के सभी प्रमुख देवी मंदिरों में भक्तों की कतार दर्शन पूजन के लिए जुटी रही। मंदिरों में देवी की स्तुति-वंदना पचरा की गूंज रही। देवी दरबार माला-फूल, धूप-अगरबत्ती और लोहबान की सुगन्ध से महमह रहा। दरबार में गूंजती घंटियों की आवाज और रह-रहकर गूंजता जयकारा-‘‘सांचे दरबार की जय से पूरा वातावरण देवीमय नजर आ रहा था। नवरात्र में मंदिरों के अलावा मठों, घर-आंगन में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्थापित कलश के समक्ष आदि शक्ति के आर्शीवाद पाने की चाहत में दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालिसा का पाठ, आरती का क्रम दिन भर चलता रहा। धूपचंडी वलभद्र कालोनी में नौ दिन का पाठ बैठाये देवी भक्त संजय पांडेय टीटू गुरू ने बताया कि शक्ति आराधना सदियों से काशी सहित पूरे भारत में नवरात्र के दिनों में होती है। नवरात्र में मां दुर्गा के लिए जो अनुष्ठान, धार्मिक पूजापाठ होता है। उसमें दुर्गा सप्तशती का पाठ,अनुष्ठान विशेष कल्याण कारी है। भविष्य पुराण में भी इसका वर्णन है। इसके वाचन से मनुष्य के सभी पापों का शमन होता है। पाठ में शापोद्धार सहित कवच, अर्गला, कीलक एवं तीनों रहस्यों को पढ़ना चाहिए। दुर्गा सप्तशदी का पाठ करते समय पुस्तक को जमीन पर रखने की बजाय आधार पर रखना चाहिए। संजय पांडेय ने बताया कि नवरात्र के बाद भी पूरे श्रद्धाभाव से इसका नियमित पाठ किया जा सकता है। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर

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