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साम्प्रदायिकता व जातिवादी नीतियां कांग्रेस की तरह ही भाजपा शासन में भी चरम पर : मायावती

-मायावती ने की समीक्षा बैठक, चुनाव की तैयारियों में जी-जान से जुट जाने का दिया निर्देश लखनऊ, 10 मार्च (हि.स.)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने पांच दिन तक पार्टी की धरातल पर गतिविधियों की समीक्षा और चुनावी तैयारी की जानकारी ली। इस दौरान उप्र के सभी 18 मण्डल व 75 जनपदों के पार्टी के छोटे-बड़े पदाधिकारियों ने अपनी-अपनी कमेटी की गतिविधियों के सम्बन्ध में विस्तार से रिपोर्ट पार्टी प्रमुख को पेश की। इसके बाद मायावती ने बुधवार को सभी पदाधिकारियों को चुनाव तैयारियों में जी-जान से जुट जाने का निर्देश दिया। बसपा सुप्रीमों ने कहा कि हर पार्टी के समक्ष उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और जनसंघ या भाजपा के आजादी के बाद लगभग 70 वर्षों तक लगभग लुप्तप्रायः रहने के बाद आज उसकी साम्प्रदायिकता, जनविरोधी एवं जातिवादी नीतियां, कांग्रेस पार्टी की तरह ही चरम पर हैं। ऐसा किसने सोचा था, लेकिन आज भाजपा अगर शक्तिशाली व सरकार में है तो इसके लिए सबसे बड़ी ज़िम्मेवार व कसूरवार खुद कांग्रेस पार्टी व उसकी गलत व जनविरोधी भ्रष्ट नीतियां ही हैं। उन्होंने कहा कि बीएसपी मिशन व मूवमेन्ट के लिए दोनों ही पार्टियां बराबर की जिम्मेदार हैं। कोई कम तो कोई ज्यादा अर्थात् बहुजन समाज व अपरकास्ट समाज के गरीबों को अपना उद्धार स्वयं करने के योग्य बनना है तो गुलाम मानसिकता वाले समाज के बिकाऊ लोगों से सावधान रहना बहुत ही जरूरी है। वक्त की जरूरत व मांग है कि इसी संकल्प के साथ बसपा के लोग हर स्तर पर लगातार काम करते रहें। मायावती ने अपनी मण्डल व ज़िला स्तरीय समीक्षा बैठकों में अति-शीघ्र घोषित होने वाले पंचायत व स्थानीय निकाय के चुनाव से सम्बन्ध में पार्टी की तैयारियों की भी समीक्षा की। उत्तर प्रदेश में ये चुनाव अगर स्वतंत्र व निष्पक्ष ढंग से कराए गए तो आगामी विधानसभा आमचुनाव से पहले पूरे प्रदेश में केन्द्र व राज्य की सरकार के खिलाफ सर्वसमाज में से खासकर गरीबों, किसानों, छोटे व्यापारियों व अन्य मेहनतकश लोगों में जो व्यापक जन असंतोष व जनाक्रोश व्याप्त है। वह भाजपा के खिलाफ जरूर रंग लाकर उसे काफी महंगा पड़ सकता है। खासकर ऐसे समय में भाजपा की बेहतर विकल्प बनकर जनता के सामने आना है, यही हमारा प्रयास पहले भी था और आगे भी होना चाहिये। उन्होंने कहा कि केन्द्र व उप्र की सरकार जन, समाज व देशहित को भी त्याग कर अपने विरोधियों को सरकार की शक्ति का गलत इस्तेमाल करके हर प्रकार से कुचलने में ही ज्यादा लगी हुई है, जो भारत के लोकतंत्र के लिए अति-दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है तथा जिसको लेकर हर तरफ चिन्ताओं की लहर है। राजधानी लखनऊ में लगभग एक माह से अधिक समय तक लगातार चलने वाली इन समीक्षा बैठकों में बीएसपी मूवमेन्ट के जन्मदाता व संस्थापक कांशीराम की 15 मार्च को होने वाली जयन्ती कार्यक्रम को, पूर्व की तरह ही, यूपी के कुछ मण्डल को छोड़कर अधिकांश मण्डलों में संगोष्ठी आदि के माध्यम से मनाने का निर्देंश दिया गया, जिसमें से केवल लखनऊ, कानपुर व फैजाबाद मण्डल के लोग, लखनऊ में स्थित कांशीराम स्मारक स्थल में तथा मेरठ मण्डल के लोग नोयडा में स्थित दलित प्रेरणा स्थल में पहुंचकर, उनको अपनी श्रद्धा अर्पित करेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/संजय

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