मुख्यमंत्री योगी ने दीनदयाल उपाध्याय को पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि, बताया उत्कृष्ट राजनीतिक मूल्यों के प्रतीक पुरुष
लखनऊ, 11 फरवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित प्रदेश के अन्य नेताओं ने जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि भारतीय जनसंघ के संस्थापक, उत्कृष्ट राजनीतिक मूल्यों के प्रतीक पुरुष, कुशल संगठनकर्ता, ’एकात्म मानववाद’ और ’अंत्योदय’ जैसे प्रगतिशील तथा सर्वसमावेशी विचारों के प्रतिपादक, प्रेरणास्रोत श्रद्धेय पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि। उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय सिद्धांत पर चलते हुए आज हम समस्त जनमानस का जीवनस्तर बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के जीवन में खुशहाली लाना ही हमारा लक्ष्य है। पुण्यतिथि पर पंडित जी को सादर नमन। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि महान चिन्तक,संगठनकर्ता एवं अंत्योदय के सिद्धांत पर अपना संपूर्ण जीवन, गांव, गरीब, किसान, दलित, पीड़ित, शोषित और वंचित के उत्थान के लिए न्योछावर कर देने वाले हमारे प्रेरणास्रोत पंडित-दीनदयाल-उपाध्याय की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि पंडित-दीनदयाल-उपाध्याय का सम्पूर्ण जीवन देश की संस्कृति और देश के हित को समर्पित रहा, उन्होंने एकात्म मानववाद का जो दर्शन दिया वह न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया की समस्याओं का समाधान करने में सक्षम है। पंडित जी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई की ओर से ट्वीट किया गया कि ’एकात्म मानववाद’ के प्रणेता, भारतीय जनसंघ के संस्थापक, हमारे प्रेरणास्रोत स्व. पं. दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में हुआ था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आएं, आजीवन संघ के प्रचारक रहे। 21 अक्टूबर 1951 को डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में ’भारतीय जनसंघ’ की स्थापना हुई। इसके बाद 1952 में इसका प्रथम अधिवेशन कानपुर में हुआ और दीनदयाल उपाध्याय इस दल के महामंत्री बने तथा 1967 तक वे भारतीय जनसंघ के महामंत्री रहे। अंत्योदय का नारा देने वाले दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि अगर हम एकता चाहते हैं, तो हमें भारतीय राष्ट्रवाद को समझना होगा, जो हिंदू राष्ट्रवाद है और भारतीय संस्कृति हिन्दू संस्कृति है। पं. दीनदयाल उपाध्याय ने अपनी परम्पराओं और जड़ों से जुड़े रहने के बावजूद समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी नवीन विचारों का सदैव स्वागत किया। उनका कहना था कि भारत की जड़ों से जुड़ी राजनीति, अर्थनीति और समाज नीति ही देश के भाग्य को बदलने का सामर्थ्य रखती है। कोई भी देश अपनी जड़ों से कटकर विकास नहीं कर सका है। वर्ष 1967 में कालीकट अधिवेशन में दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए और मात्र 43 दिन बाद ही 11 फरवरी 1968 को मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई और इस सूचना से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। दीनदयाल उपाध्याय सच्चे अर्थों में युगपुरुष थे। उनका व्यक्तित्व राष्ट्रीय चिंतन, उच्च विचारों व मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण था। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/दीपक-hindusthansamachar.in