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चौरी—चौरा शताब्दी वर्ष : बिठूर के नानाराव पार्क में आजादी के वीर सपूतों को याद कर दी श्रद्धांजलि

- नाना साहब की प्रतिमा पर अधिकारियों ने अर्पित किये पुष्प, शहीदों के परिजनों को किया सम्मानित कानपुर, 04 फरवरी (हि.स.)। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणादायी जनक्रांति चौरी-चौरा आंदोलन के 100वें वर्ष पूरे होने पर शताब्दी समारोह का आयोजन किया जा रहा है। कानपुर की एतिहासिक भूमि बिठूर स्थित नानाराव पार्क में 1857 की क्रांति के नायक नाना साहब धोंधूपन्त पेशवा व आजादी के आन्दोलन के वीर सपूतों को याद किया गया। इस मौके पर राष्ट्र गान की धुन पर नाना साहब की मूर्ति पर मुख्य अतिथि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी धर्म कुमार सिंह व विधायक भगवती प्रसाद सागर, अभिजीत सिंह सांगा, एडीजी कानपुर जोन जय नारायण सिंह, मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर, आईजी परिक्षेत्र कानपुर मोहित अग्रवाल, जिलाधिकारी आलोक तिवारी, डीआईजी/एसएसपी डॉ. प्रीतिंदर सिंह समेत अन्य उपस्थित गणमान्य लोगों द्वारा पुष्प अर्पित कर नमन किया। इसके बाद दीप प्रज्ज्वलित कर वन्देमातरम गीत से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। यहां पर शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा देश भक्ति पर आधारित गीत व सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति ने उपस्थित लोगों का मन मोह लिया। छात्र-छात्राओं द्वारा विभिन्न प्रतियोगिता में भी भाग लिया गया। अंत में चौरी-चौरा कांड के इतिहास के बारे में भी विस्तृत रूप से बताया गया। जिसमें चौरी-चौरा घटना उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के पास एक कस्बा की है, जिसका नाम चौरी-चौरा है। वहां 4 फरवरी सन 1922 को भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की हिंसक कार्रवाई के बदले में एक पुलिस स्टेशन पर आग लगा दी थी, जिसमें कुल 24 पुलिसकर्मी जिंदा जलकर वीरगति को प्राप्त हो गए थे। इस कांड का असर भारतीय स्वतंत्रता पर बहुत बड़ा पड़ा और महात्मा गांधी जी ने भी अपना असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था। तब से यह कांड चौरी-चौरा कांड के नाम से जाना जाता है। हिन्दुस्थान समाचार/महमूद/मोहित-hindusthansamachar.in

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