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कोरोना पीड़ा से जुड़े अध्याय, असमय काल का ग्रास बनी बेबस जिंदगियां

मीरजापुर, 12 मई (हि.स.)। वर्तमान समय का नामकरण कोरोना-युग स्वत: ही हो गया है। इस युग में बेकसूर जिंदगियों की डूबती नैया के पालनहार तथा खेवनहार भी मैदान छोड़कर भाग गए हैं। रक्षक माने जाने वाले कहीं छुप गए हैं। लिहाजा अकथनीय, अवर्णनीय और अंतहीन पीड़ा का सिलसिला थमने के बजाय दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा है। छोटी उम्र के बच्चे अपने परिजनों को अकेले किसी प्रकार ढोकर श्मशान ले जा रहे हैं। वहां भी यातना की सुरसा मुंह बाए खड़ी मिलती है। कोरोना के चलते हुई मौतों की दास्तां भुलाने में सदियां लग जाएंगी। पीढ़ियां जब ये गाथा सुनेंगी तो आजादी आन्दोलन के खलनायक जनरल डायर को सामने रखकर जालियांवाला बाग में दर्दभरी मौतों से वर्तमान दौर की मौतों की तुलना निश्चित करेगी। नगर के जानेमाने अधिवक्ता रहे स्व चमन लाल जैन के छोटे भाई के निधन की भी दास्तान दिल को चकनाचूर कर देने वाली है। स्व. चमन लाल अधिवक्ता के साथ अनेक विद्यालयों और संस्थाओं तथा व्यवसायिक फर्मों के संचालक रहे। इनके छोटे भाई दानचंद जैन (65) की वाराणसी में मृत्यु के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव को छूने से इनकार कर दिया। पुत्र रोहित को अंतिम संस्कार करने तक अकेले हाथ-पांव मारना पड़ा । पूरी कहानी आंखों को दरिया बना ही दे रही है। किराए पर कंधा देने का धंधा करने वालों से मदद के सिवाय कोई उपाय नहीं था। पड़री थाना क्षेत्र के रुदौली गांव के बच्चा लाल यादव (60) बीमार हुए। परिजन एक निजी अस्पताल से बात कर वहां ले गए। अस्पताल प्रबंधक को पता चला कि ऑक्सीजन 55 है तो लेने से इनकार कर दिया और कहा ट्रामा सेंटर ले जाओ। ट्रामा सेंटर में गेट नहीं खोला गया और हॉस्पिटल के गेट नम्बर 103 पर ले जाने के लिए कहा। साथ गया ग्रामीण पोस्टमास्टर बेटा प्रवेश यादव जब वहां ले गया तो गेट पर गार्ड ने गाड़ी खड़ी नहीं करने दी और कहा कि कहीं अन्यत्र ले जाओ। चौथी जगह ले ही गया था कि पुत्र की गोद में पिता ने अंतिम सांस ली। बेटा विलख पड़ा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कल्लू दीक्षित का दौहित्र (बेटी का बेटा) सौरभ पांडेय (27), धुंधीकटरा के विनय अग्रवाल (48) का कोरोना के साथ हमेशा के लिए चले जाना हथौड़े के जबरदस्त प्रहार के समान लोगों को महसूस हो रहा है। सीखड़ में ग्राम विकास अधिकारी पिता की तीमारदारी करते 14 वर्ष के किशोर उम्र के बालक का बीमार होकर पिता के साथ एक दिन के अंतराल पर यमलोक जाना भी पीड़ा की गाथा का महत्वपूर्ण अध्याय है। हिन्दुस्थान समाचार/ गिरजा शंकर/विद्या कान्त

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