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अमरूद की पत्तियों को उबाल कर गरारा करने से दांत दर्द में होता है राहत

वाराणसी,16 मई (हि.स.)। कोरोना काल में अस्पतालों में बढ़ी भीड़ और महंगे इलाज को देख लोग बचाव के लिए घरेलू उपचार पर जोर दे रहे हैं। सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार के साथ मधुमेह, डायरिया का भी इलाज लोग पेड़-पौधों की जड़ों और पत्तियों से कर रहे हैं। रविवार को आयुर्वेद विशेषज्ञ वीना अग्निहोत्री ने बताया कि घरेलू उपचार में अमरूद के पत्तियों का भी बड़ा महत्व है। उन्होंने बताया कि अमरूद के पत्ते एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल गुण और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुणों से भरपूर होते हैं। त्वचा, बाल और स्वास्थ्य की देखभाल के लिए अमरूद की पत्तियों का रस पीना या फिर छोटी-मुलायम पत्तियों को चबाना बेहद फायदेमंद होता है। उन्होंने बताया कि अमरूद की पत्तियां वजन घटाने में मददगार होती है। मधुमेह के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में सहायक,डायरिया की रोकथाम,पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में सहायक,मुह के छालें और दांत दर्द दूर करने में भी पत्तियां फायदेमंद है। दांत दर्द में अमरूद की पत्तियों के साथ थोड़ा सेंधा नमक डाल कर गरम करने के बाद गरारा करने से राहत मिलती है। शरीर को निरोग बनाने के लिए खायें मक्का, बाजरा, जौ, चना, ज्वार, कोदरा, रागी, सावां शरीर को निरोग बनाने के लिए भारतीय खानपान का भी बड़ा महत्व है। मोटापे, मधुमेह और हृदय रोगों से स्थाई मुक्ति के लिए मक्का, बाजरा, जौ, चना, ज्वार, कोदरा, रागी, सावां, कांगनी ही खाना चाहिये। आयुर्वेद की विशेषज्ञ वीना अग्निहोत्री बताती है कि शरीर को निरोग बनाने के लिए गेंहू खाने से थोड़ी दूरी बनानी होगी। अमेरिका के एक हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विलियम डेविस की वर्ष 2011 में लिखी पुस्तक व्हीट बेली का उल्लेख कर उन्होंने बताया कि 1980 के बाद से लगातार भारतीय सुबह शाम गेंहू की रोटी खाकर मोटापे और डायबिटिज के शिकार बन रहे हैं। वीना बताती है कि वर्ष 1975-80 तक आम भारतीय घरों में बेजड़ (मिक्स अनाज) की रोटी या जौ की रोटी का ही प्रचलन था । जो धीरे धीरे खत्म ही हो गया। 1980 के पहले आम तौर पर घरों में मेहमानों के आने पर ही गेंहू की रोटी बनती थी और उस पर घी लगाया जाता था, अन्यथा जौ ही मुख्य अनाज था। अब समय आ गया है कि जौ, चना आदि अनाजों पर विशेष बल दिया जाय। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/मोहित

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