ब्लैक फंगस : अपनों की कमियां पैदा कर रहीं खतरनाक स्थिति

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- पांच गुना दाम पर दवा की कालाबाजारी का मामला गोरखपुर, 19 मई (हि.स.)। कोरोना वायरस की दूसरी लहर में दवाओं की कालाबाजारी के बाद अब ब्लैक फंगस के कहर में कालाबाजारी के मामले सामने आने लगे हैं। यह न सिर्फ एक अस्वस्थ समाज का चेहरा है बल्कि मानवीयता के तार-तार होने की कहानी भी बयां कर रहा है। लोगों का कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ अपनों की कमियों से खतरनाक स्थिति की ओर जा रही है। कोरोना काल में दवाओं की कालाबाजारी ने शासन-प्रशासन की नींद उड़ा दी थी। प्रशासनिक अफसरों ने ताबड़तोड़ छापेमारी कर दवाओं की कालाबाजारी रोकने का पूरा प्रयास किया, लेकिन कालाबाजारियों की एक लंबी फौज की नियंत्रित कर पाना शायद कठिन हो रहा था। हालांकि समाज के कुछ जागरूक लोगों की मदद और पुलिस की सक्रियता से इस पर काफी हद तक सफलता मिली। अब ब्लैक फंगस की दवा की कालाबाजारी शुरू हो गयी है। वह भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर में हो रही है। यह एक गंभीर मामला है। लेकिन सक्रिय जिला प्रशासन की नजरों से इस कालाबाजारी जैसा अमानवीय कृत्य छिपा नहीं रह सका। मंगलवार को कार्रवाई कर पुलिस ने इनमें से दो कालाबाजारियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। ब्लैक फंगस की दवा एंफोनेक्स की कालाबाजारी करने वाला दवा दुकानदार और एक कंपनी के एरिया मैनेजर जिला प्रशासन के बिछाए जाल में फंस गए थे। 3700 के इंजेक्शन काे 19 हजार रुपये में बेचने वाले दोनों आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था। अब उनके सिंडिकेट से जुड़े बाकी लोगों के बारे में पूछताछ जारी है। माना जा रहा है जल्दी ही इस सिंडिकेट का खुलासा होगा और कई सफेदपोश चेहरे भी सामने आएंगे। तलाशी जा रही चेन जिला प्रशासन इस मामले में हो रही कार्रवाई को यहीं रोकना नहीं चाहता। इसमें जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर एक ठोस कार्रवाई करने की मूड में है। समाज का भरोसा शासन-प्रशासन पर बनाये रखने की पूरी कोशिश कर रहा है। जिला प्रशासन, पुलिस व ड्रग विभाग की टीम आरोपितों से पूछताछ के आधार पर कालाबाजारियों की चेन तलाश रही है। जांच के दायरे में दवा के आने के स्रोत भी तलाशे जा रहे हैं। किनके-किनके माध्यम से यह दवा गोरखपुर पहुंची और अब तक कितने लोगों को बेची गई, इसको भी जांच के दायरे में रखा जा सकता है। इस खेल में कितने लोग शामिल हैं, इसका भी पता लगाकर टीम की पूरी कड़ी को जोड़ने का प्रयास हो रहा है। अमानवीय-असामाजिक है यह कृत्य डॉ. मनोज जैन का कहना है कि यह एक अमानवीय कृत्य है। एक चिकित्सक या चिकित्सा से जुड़े लोग ईश्वर को साक्षी मानकर ही इलाज की शुरुआत करते हैं। ऐसे में समाज भी इनके भरोसे को देखकर ही इन्हें जीवन रक्षक मानता है। मैं एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में कह सकता हूं कि अपनों की कमियां ही इस महामारी काल में ब्लैक फंगस से निपटने की तैयारियों को एक खतरनाक स्थिति में पहुंचा रही है। हिन्दुस्थान समाचार/आमोद/विद्या कान्त

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