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पशुजन्य बीमारियों से बचने के लिए जरुरी है जैव सुरक्षा उपाय : डा. संजय कुमार पाण्डेय

— एवियन इनफ्लुएंजा / बर्ड फ्लू स्वाइन फ्लू रोग हैं अधिक घातक कानपुर, 27 मई (हि.स.)। पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली पशुजन्य बीमारियों के लिए जैव सुरक्षा उपाय जरुरी है। इसमें एवियन इनफ्लुएंजा / बर्ड फ्लू स्वाइन फ्लू एवं रेबीज इत्यादि विभिन्न ऐसे संक्रामक रोग हैं जो कि पशुओं से मनुष्यों में फैलते हैं। इस प्रकार से पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाले रोगों को पशु जन्य रोग या जूनोटिक रोग कहते हैं। इन रोगों का प्रसार सघन संपर्क वायु, पशुओं के काटने से, कीटों के काटने आदि से फैलते हैं। यदि किसी प्रकार से इन रोगों के विषाणु का पशुओं से मनुष्य में संक्रमण रोक लिया जाए तो इस प्रकार की जूनोटिक बीमारियों की रोकथाम हो सकती है। यह बातें गुरुवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से संबद्ध नगला निरंजन स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के पशु वैज्ञानिक डा संजय कुमार पांडेय ने कही। उन्होंने बताया कि पशुजन्य बीमारियों से बचने के उपायों को जैव सुरक्षा उपाय कहते हैं। वर्तमान में अभी तक लगभग तीन सौ प्रकार के जूनोटिक रोगों की जानकारी है। मनुष्य के लिए सबसे अधिक घातक जूनोटिक रोगों में बर्ड फ्लू एवं स्वाइन फ्लू मुख्य हैं। इन रोगों से पूर्व में भी लाखों लोगों की मृत्यु हुई है। अतः यह अत्यंत आवश्यक है कि हम अपने दैनिक जीवन में जैव सुरक्षा उपायों का ध्यान रखें और उसके अनुसार ही पशुपालन करें। उन्होंने बताया कि हमारे देश में पशुपालन के दो अलग रुप देखने को मिलते हैं। प्रथम वृहद फार्म एवं दूसरे में पशु पालको द्वारा अपने घर में एक दो या अधिक पशुओं को रखना। अतः जैव सुरक्षा उपाय भी उसी को ध्यान में रखकर करना चाहिए। बताया कि वृहद फार्म के लिए जैव सुरक्षा उपाय में स्थल का चयन सही होना चाहिये, क्योंकि जल पक्षी एवं प्रवासी पक्षी एवियन इनफ्लुएंजा के वाहक होते हैं। अतः हमें फार्म के लिए स्थल का चयन इस प्रकार करना चाहिए कि वे जलाशयों के अति निकट न हों। फार्म से जलाशय के बीच कम से कम 500 मीटर की दूरी आवश्यक है। इसके साथ ही फार्म के आवास इस प्रकार बनाए जाने चाहिए कि उनमें जंगली पक्षी, चूहे, कीट, पतंगों का प्रवेश न हो सके। ऐसा इसलिए आवश्यक है यह पशु रोगों के प्रसार में सहायक होते हैं एवं रोगों के वाहक होते हैं। हिन्दुस्थान समाचार/अजय

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