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बास्केटबाल के भीष्म पितामह डॉ के एन राय नहीं रहे, खिलाड़ियों और खेल प्रेमियों ने जताया शोक

सिंह सिस्टर्स समेत दर्जनों राष्ट्रीय, अंतर राष्ट्रीय खिलाड़ियों ने लिया था प्रशिक्षण - खिलाड़ी बोले ,बास्केट बाल में एक युग का समापन वाराणसी, 27 अप्रैल (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में बास्केटबाल खिलाड़ियोें को तराशने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले डॉ कवीन्द्र नाथ राय (केएन राय) नहीं रहे। मंगलवार को लम्बी बीमारी के बीच प्रातः काल उन्होंने अन्तिम सांस ली। खिलाड़ियों के बीच भीष्म पितामह जैसा सम्मान पाने वाले कविन्द्र राय के निधन की जानकारी पाते ही खिलाड़ियों में शोक छा गया। खिलाड़ियों ने सोशल मीडिया के जरिये अपने गुरू को याद कर श्रद्धासुमन अर्पित किया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के शारीरिक शिक्षा विभाग में सहायक निदेशक पद से सेवानिवृति के बाद भी राय खिलाड़ियों को तरासने के साथ जीत का मंत्र भी आजीवन बताते रहे। ग्राम सोनवानी, गाजीपुर में जन्म लेने के बाद डा.राय ने बी०एस०सी० की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से की थी। बास्केट बाल की दुनिया में अपनी मजबूत पहचान बनाने के बाद डॉ राय ने अपने कॅरियर की शुरूआत पूर्वोत्तर रेलवे से की। टीसी के पद पर कार्यभार ग्रहण कर उन्होंने पूर्वोत्तर रेलवे की टीम का प्रतिनिधित्व किया। डॉ राय बास्केटबाल के ही नहीं फुटबाल एवं एथलेटिक्स में भी अच्छे खिलाड़ी रहे। खेल जीवन के दौरान अपनी मधुर वाणी, सदैव दूसरों की सहायता को तत्पर रहते थे। बीएचयू से जुड़ने के बाद उन्होंने मिहिर पांडेय (पूर्व कप्तान भारतीय टीम), उपेंद्र सिंह (झन्नू), दिव्या सिंह (पूर्व कप्तान, भारतीय टीम), प्रशांति सिंह, कार्तिक राम, अतुल सिन्हा (डीएसओ), अजय सिंह, वैभव सिंह (अंतराष्ट्रीय रेफरी), डॉ शैलेंद्र नारायण सिंह, दिलीप कुमार (डीएसओ), डॉ गौरव कुमार सिंह (सहायक प्राध्यापक, दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय, गया), शैलेंद्र राय, परमहंस सिंह(पू० रेलवे) सहित दर्जनों शिष्यों के प्रतिभा को तराश इस लायक बनाया कि खिलाड़ी राष्ट्रीय और अन्तर राष्ट्रीय फलक पर चमक राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहराने लगे। बीएचयू से सेवानिवृति के बाद लंका महामना पूरी कॉलोनी में अपनी धर्मपत्नी के साथ रहकर सुबह खेल मैदान में खिलाड़ियों का उत्साह वर्धन और जीत का टिप्स देने के लिए पहुंच जाते थे। डॉ राय समय के पाबंद थे, कहा जाता था की एक बार घड़ी लेट हो सकती है परंतु डॉ राय कभी लेट नहीं होते थे। डॉ राय गरीब शिष्यों को आर्थिक रूप से भी मदद किया करते थे । डॉ राय के नाम एक अनोखा रेकॉर्ड दर्ज है, उनके कार्यकाल के दौरान लगभग 30 से ज्यादा वर्षो तक बी० एच० यू० बास्केटबाल टीम लगातार आल इंडिया अंतर विश्वविद्यालयी बास्केटबाल खेलों हेतु क्वालीफाई करती रही। डॉ के एन राय के निधन पर प्रो. दिलीप कुमार डूरेहा (पूर्व कुलपति, एलएनआईपी ई, ग्वालियर ), डॉ विद्या सागर सिंह, सेवानिवृत्त सह-निदेशक (विश्वविद्यालय खेल परिषद, बी०एच०यू०), डॉ एम एम पाल, सेवानिवृत्त सह-निदेशक (विश्वविद्यालय खेल परिषद, बी०एच०यू०), डॉ मृत्युंजय राय, सेवानिवृत्त सह-निदेशक (विश्वविद्यालय खेल परिषद, बी०एच०यू०), प्रो० अभिमन्यु सिंह, विभागाध्यक्ष, शारीरिक शिक्षा विभाग, बी०एच०यू०, प्रो सुषमा घिल्डियाल, पूर्व-विभागाध्यक्ष, शारीरिक शिक्षा विभाग, बी०एच०यू०, प्रो राजीव व्यास, डॉ अखिल मल्होत्रा, डॉ आशीष सिंह, विभागाध्यक्ष, शारीरिक शिक्षा विभाग, दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय, डॉ गौरव कु० सिंह, डॉ राहुल सिंह, डॉ जितेंद्र प्रताप सिंह तथा दर्जनों शिष्यों ने शोक जताया है। डॉ राय अपने पीछे पत्नी और पांच विवाहित बेटियों का परिवार छोड़ गये है। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर

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