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कानपुर में अस्पताल-अस्पताल भटकता रहा बेंगलुरु निवासी रेलवे कर्मचारी, मौत

- अंतिम उम्मीद लेकर पहुंचा था सिखों के ऑक्सीजन लंगर, नहीं बच सकी जान कानपुर, 28 अप्रैल (हि.स.)। कोरोना काल में प्रशासन भले ही दावा कर रहा हो कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी नहीं है और कोविड मरीजों का बेहतर इलाज किया जा रहा है, लेकिन बुधवार को दिल झकझोर देने वाला वाक्या उस समय सामने आया जब एक रेलवे कर्मचारी ऑक्सीजन लंगर शुरु होने से तीन घंटे पहले पहुंच गया। उसने बताया कि शहर के किसी भी अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं मिली, जबकि रेलवे से जुड़े शहर में कई अस्पताल हैं। ऑक्सीजन लंगर में ऑक्सीजन देने के दौरान उसकी मौत भी हो गई। गुरु सिंह सभा सहित कई सिख संस्थाएं शहर में कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन की समस्या को देखते हुए गुमटी नंबर पांच में गुरुद्वारे के बाहर शिविर लगाकर लोगों को नि:शुल्क ऑक्सीजन विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में दी जा रही है। ऑक्सीजन लंगर की शुरुआत सुबह 10 बजे से की जाती है। बुधवार को कोपरगंज रेलवे कालोनी में रहने वाले रेलवे कर्मचारी राजकुमार सुबह सात बजे ही पहुंच गये थे। 10 बजे जब शिविर में चिकित्सक और संस्था के लोग पहुंचे तो देखा कि एक व्यक्ति ऑक्सीजन की कमी के चलते कराह रहा है। चिकित्सकों ने उसे फौरन ऑक्सीजन दी और उसने बताया कि शहर के अस्पतालों में भटकता रहा पर किसी का दिल नहीं पसीजा। ऑक्सीजन देने के दौरान ही उसकी मौत भी हो गई और वह कोरोना पॉजिटिव भी था। मौत होने के बाद उसके जेब से रेलवे का परिचय पत्र, तीन मोबाइल और 10 हजार रुपये मिले। संस्था के लोगों ने परिजनों को जानकारी देकर सारा सामान वापस कर दिया। संस्था के पदाधिकारियों ने बताया कि 59 वर्षीय राजकुमार पाटन गिरि राजा राजेश्वरी नगर बेंगलुरु का रहने वाला था जो कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन में कामर्शियल विभाग में तैनात था। हिन्दुस्थान समाचार/अजय

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