बुलंद इरादों ने बदल सकते हैं तस्वीर, पढ़िए शिवकुमार की कहानी
औरैया, एजेंसी। कहते हैं कि कोई भी कार्य कठिन नहीं होता, बस जरूरत है सही मन और पक्के इरादे के साथ उसे अंजाम तक पहुंचाने की। इसी पक्के इरादे ने औरैया के युवा किसान शिवकुमार को बागवानी से एक सफल किसान बनाया। उन्होंने एक कुशल उद्यमी होने की प्रेरणा लोगों को दी है।
युवा किसान शिवकुमार के पूर्वज पहले से पर्यावरण प्रेमी रहे हैं। उन्होंने बागवानी को हमेशा महत्व दिया। कोरोना काल में नौकरी जाने के बाद उन्होंने पूूर्वजों द्वारा दी गयी सीख को ही रोजगार के रूप में अपनाया।
जनपद में नेशनल हाईवे पर स्थित गांव पूठा निवासी बाबूराम कुशवाहा ने पूर्वजों की सीख से अपने खेतों में फलों, फूलों, मसाले और मेवा की फसल उगाने की ठानी। सफल परिणाम से उत्साहित इनके पुत्र शिवकुमार ने कोरोना काल में जा चुकी प्राइवेट नौकरी को दोबारा हासिल करने के बजाए पिता के काम में हाथ बटाने की हठ ठान ली। देखते ही देखते अपनी सूझबूझ से एक क्यारी में होने बाला व्यापार आज कई एकड़ में विस्तार ले लिया है। फलों, फूलों और छायादार वृक्ष आज अपनी खुशबू से गुंजायमान हो रहे हैं। देसी और विदेशी किस्मों की कुल मिला कर लगभग एक हजार पौधों को निहारने और खरीदने के लिए लोग रोज आ रहे हैं। ग्रीष्म ऋतु में उपयोगी पौधों के बारे में स्वयं शिवकुमार बताते हैं कि वैसे परंपरागत रूप से वृक्षारोपण का समय नहीं है। मगर कुछ प्रजातियां अब विकसित हो चुकी हैं जिन्हे किसी भी मौसम में लगाया जा सकता है।
लीची, आडू, नासपति, चीकू, कमरख, सहतूत और अमरूद सहित फलदार वृक्षों के अलावा लौंग, इलायची, काली मिर्च, पीपर, तेजपत्ता, दालचीनी और हींग के पौधे लेने लोग आते हैं। वे लोग यहां मसाले अपने स्वजनों को बुक करा कर दूर दराज भिजवा रहे हैं।
धार्मिक पौधों का कर रहे संवर्धन
रतनगढ बाली माता को अपना आराध्य बताने वाले शिवकुमार बताते हैं कि उन्हें जब से माता रानी से प्रेरणा मिली, लोगों के सहयोग से रुद्राक्ष, चंदन, पारिजात, शमी, श्यामा तुलसी, रामा तुलसी, कृष्णा तुलसी सहित कल्पवृक्ष की कई प्रजातियों का संरक्षण और संवर्धन कर रहें।