औरैया : दोहरी चुनौतियों से लड़कर गांवों में आशा बहनें कोविड रोकथाम की निभा रहीं जिम्मेदारी
औरैया, 24 मई (हि.स.)। कोरोना संक्रमण की तेज रफ्तार को थामने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के सुदूर इलाकों में आशा बहनें दोहरी चुनौतियों का सामना कर लोगों को जागरूक करने में जुटी हुई हैं। कोविड की जांच के अलावा होम आइसोलेट मरीजों को दवाइयां मुहैया कराने की जिम्मेदारी इन दिनोंं वह बखूबी निभा रही हैं। इस दौरान सबसे बड़ी बात यह है कि आशाएं गरीबों के सीधे संपर्क में आ ही रही हैं साथ ही उनके परिवारों की भी देखभाल कर रही हैं। कोविड की दूसरी लहर से जहां काफी समस्याएं लोगों के सामने आई हैं तो कुछ लोग अपनी जान जोखिम में डालकर इससे पीड़ित लोगों व उनके परिवारों की देखभाल अपने परिवार की तरह करने में जुटी हैं। इसी ही मिसाल बनकर सामने आई हैं गांव की आशा कार्यकत्रियां। गांव की आशा कार्यकत्री इस मुश्किल हालात में मैदान में उतरकर गांवोंं में लगातार ड्यूटी कर नारी सशक्तिकरण का लोहा मनवा रही है। चिलचिलाती धूप में ग्रामीण इलाकों में घर-घर जाकर महामारी से बचाव के लिए टीकाकरण के लिए जागरूक कर रही हैं। वही आइसोलेट के मरीजों को उपचार को मदद भी कर रही हैं। अछल्दा ब्लाक की आशा सुषमा देवी कार्यकत्री बताती हैं कि कोविड-19 की महामारी में गांव-गांव जाकर वह सैंपल एकत्र करने में पूरा दिन निकाल देती है। घर पहुंचने पर बच्चों को संभालना पड़ता है। लेकिन महामारी के दौर में उनसे में भी दूरी बना रखी है। बताया कि गांवों में हालात काफी खराब हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोग टेस्टिंग के लिए राजी नहीं होते हैं। काफी समझाने के बाद ही लोग राजी होते हैं। कई जगहों पर लोग शादी करते हैं तो वहां पर भीड़ न पहुंचे, ऐसे स्थिति को संभालना पड़ता है। बताया कि आशा कार्यकत्रियों को गांव की निगरानी समिति से जोड़ दिया गया है ऐसे में उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई है लेकिन हम अपने कर्तव्य से पीछे नहीं बल्कि उसका डटकर सामना कर रही हैं। बताया कि, शहरी इलाकों में भी कोविड की रोकथाम आशाओं के सहारे हैं। हमें आइसोलेट मरीजों को दवा उपलब्ध करानी होती है। कार्यकत्री के मुताबिक, कई बार रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर लोग अभद्रता करने लगते हैं। ऐसे में हमें उन मरीजों को दवाइयां मुहैया कराना भी चुनौतीपूर्ण होता है। फ्रंट लाइन कि इन चुनौतियों के अलावा उनको घरेलू चुनौतियों से भी निपटना होता है। अधिकांश कार्यकत्रियों को घरेलू काम भी खुद ही अपने पास में होते हैं। वही, आरती यादव बताती हैं कि घरेलू चुनौतियां भी कोरोना महामारी में बहुत होती है। घर की जिम्मेदारियों को देखते हुए बाहर बेहद सावधानी रखनी पड़ती है। आशा नाजमा बेगम बताती हैं कि इस महामारी के दौर में परिवार की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ती है। दवा वितरण करते समय बेहद सतर्क रहना पड़ता है ताकि संक्रमण से खुद का भी बचाव हो सके। राजकुमारी बताती हैं परिवार को संक्रमण से बचाने के लिए सतर्कता रखनी पड़ती है। संतुलन के साथ कई माह से काम कर रहे हैं। राजकुमारी ने बताया कि कोरोना वायरस की जांच के लिए लोग आसानी से राजी नहीं होते हैं उनको काफी समझाना पड़ता है, कई बार इसमें परेशानी भी होती है, लेकिन वर्तमान हालात को देखकर हम फर्ज की जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा के साथ निभा रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ सुनील