
नई दिल्ली, रफ्तार न्यूज डेस्क। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे की इजाजत दे दी है। हाईकोर्ट ने ASI सर्वे पर रोक लगाने से इनकार करते हुए तत्काल सेशन कोर्ट के आदेश का पालन करने यानी सर्वे शुरू करने का ऑर्डर दे दिया है। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया है।
बिना खुदाई के सर्वे करने की इजाजत
अदालत ने सर्वे पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा है कि न्याय के लिए यह सर्वे जरूरी है। कुछ शर्तों के साथ इसे लागू करने की जरूरत है। सर्वे करिए, लेकिन बिना खुदाई किए। इससे पहले सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने ASI से सुनवाई खत्म होने तक मस्जिद का सर्वे शुरू करने पर रोक लगई थी। इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुन कर 27 जुलाई को अपने फैसले को रिजर्व कर लिया था। और आज कोर्ट ने इस विषय पर अपला फैसला सुनाते हुए बिना खुदाई के सर्वे करने की इजाजत दे दी।
मुस्लिम पक्ष ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
दरअसल, 21 जुलाई को वाराणसी जिला जज ने ज्ञानवापी के ममले में ASI सर्वे का आदेश दिया था। इसी आदेश के बाद ASI की टीम सोमवार को ज्ञानवापी का सर्वे करने पहुंची थी। इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट फिर हाईकोर्ट में ASI सर्वे के फैसले को चुनौती दी थी। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि ASI सर्वे से ढांचे को नुकसान पहुंच सकता है। जिसके बाद ASI ने एक एफिडेविट दाखिल कर कहा गया था कि सर्वे से कोई नुकसान नहीं होगा। हालंकि कोर्ट ने सर्वे पर दो दिन के लिए रोक लगाते हुए मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट जाने को कहा था। इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट का रुख किया, जहां सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी।
क्या था पूरा मामला?
दरअसल, पांच महिलाओं ने अगस्त 2021 में वाराणसी के सिविल जज के सामने एक वाद दायर किया था। इसमें उन्होंने ज्ञानवापी के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी। ममहिलाओं की याचिका पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश पर पिछली साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने यहां वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था। इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी। हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है। सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। 16 मई 2023 को चारों वादी महिलाओं की तरफ से हिंदू पक्ष ने एक प्रार्थना पत्र दिया था, जिसमें मांग की गई थी कि ज्ञानवापी के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर की ASI से जांच कराई जाए। 21 जुलाई को इसी याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए ASI सर्वे की इजाजत दी थी।