प्रिन्टेड प्रोफार्मा पर सम्मन जारी करने में एसीजेएम को चेतावनी
प्रयागराज, 10 फरवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार-बार के निर्देशों और न्यायिक आदेशों के बावजूद प्रिंटेड प्रोफार्मा पर सम्मन आदेश जारी करने पर एसीजेएम बुलंदशहर को चेतावनी दी है। कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट द्वारा जारी कई न्यायिक आदशों व प्रशासनिक आदेशों के बावजूद प्रिंटेड प्रोफार्मा पर आदेश जारी किए जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर जज ही गलती करेंगे तो आम जनता को न्याय कैसे मिलेगा। बुलंदशहर के राहुल व तीन अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने दिया है। याची का कहना था कि अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कक्ष संख्या एक बुलंदशहर ने सात सितम्बर 2020 को न्यायिक विवेक का प्रयोग किए बिना याचीगण को प्रिंटेड प्रोफार्मा पर सम्मन जारी किया है। मांग की गई कि आदेश रद्द किया जाए। अधिवक्ता का कहना था कि हाईकोर्ट की कई पीठों का आदेश है कि कोई भी सम्मन प्रिंटेड प्रोफार्मा पर नहीं जारी किया जाएगा और सम्मन जारी करते समय ऐसा करने का कारण स्पष्ट किया जाएगा। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए जिला जज बुलंदशहर को सम्बंधित मजिस्ट्रेट से स्पष्टीकरण लेकर हाईकोर्ट को सूचित करने का निर्देश दिया था। अपने स्पष्टीकरण में मजिस्ट्रेट ने गलती मान कर बिना शर्त माफी मांगी। हाईकोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि जज भगवान की तरह होते हैं। उनको जल्दबाजी या काम की अधिकता की वजह से गलती नहीं करनी चाहिए। अगर जज गलती करेंगे तो आम जनता को न्याय कौन देगा। कोर्ट ने प्रिंटेड प्रोफार्मा पर जारी सम्मन आदेश रद्द कर दिया है और नए सिरे से कारण देते हुए दो माह में नया आदेश जारी करने का निर्देश दिया है। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in