तटबंध निर्माण-मरम्मत के लिए प्रस्तावित राशि का आधा भी नहीं दी सरकार: अजय लल्लू
तटबंध निर्माण-मरम्मत के लिए प्रस्तावित राशि का आधा भी नहीं दी सरकार: अजय लल्लू

तटबंध निर्माण-मरम्मत के लिए प्रस्तावित राशि का आधा भी नहीं दी सरकार: अजय लल्लू

कहा-कोरोना के कहर के बीच उत्तर प्रदेश बाढ़ की चपेट में, लाखों हेक्टेयर फसले बर्बाद लखनऊ, 14 जुलाई (हि.स.)। प्रदेश कांग्रेस ने बारिश के चलते आयी बाढ़ से हुये नुकसान को लेकर सरकार पर बाढ़-रोकथाम के प्रति उदासीनता का आरोप लगाया है। प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने मंगलवार को कहा कि बारिश के चलते उत्तर प्रदेश की कई नदियों में जल स्तर खतरे के निशान के ऊपर पहुंच गया। कई तटबंध टूटने के कगार पर। सैकड़ों गांव जलमग्न हो गये हैं, हजारों एकड़ फसलें बर्बाद हो गयी है। मवेशी संकट में है। लेकिन, सरकार ने अभी तक बाढ़ की रोकथाम के लिये कोई ठोस एक्शन प्लान नहीं बनाया। उन्होंने कहा कि 76 बंधे अति संवेदनशील हैं। बाढ़ स्थायी संचालन समिति की बैठक में 3,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव सिंचाई विभाग ने रखा लेकिन योगी सरकार ने मात्र 1,300 करोड़ रुपया की स्वीकृति किया। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यह सरकार की असंवेदनशील रैवया का परिणाम है कि पिछले तीन सालों में सबसे अधिक बंधे टूटे हैं। चरसरी, एपी बंधा कुशीनगर, बाराबंकी के बंधे टूटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के कहर के बीच बाढ़ का संकट गहराता जा रहा है। लगातार बारिश होने से पूरा प्रदेश बाढ़ की चपेट में है। जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। गोरखपुर, बस्ती, महराजगंज, कुशीनगर, बहराइच, गोण्डा, बाराबंकी, बनारस व फैजाबाद जिलों के सैकड़ों गांव जलमग्न हो गये हैं। किसानों की हजारो एकड़ की फसले बर्बाद हो गयी है। मवेशियों को चारा का संकट है। बाढ़ में फंसे लोगों के लिये आवागमन की कोई सुविधा नहीं मिल पायी है। पीड़ित परिवार भोजन की समस्या से जूझ रहे हैं। सरकार ने अभी तक कहीं भी खाद्यान्न वितरित नहीं किया। उन्होंने कहा कि बूढ़ी गंडक, मवने नाले, घाघरा, सरयू तथा राप्ती नदी में बने कई तटबंध पहले से ही जर्जर अवस्था में है। बाढ़ का संकट बढ़ने से बाराबंकी में सरसवां तटबंध, कुशीनगर का अमवा खास सहित कई तटबंध टूटने के कगार पर है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने स्वयं ही अपनी विधानसभा तमकुहीराज के जर्जर तटबंधों की मरम्मत के लिये विधानसभा में मांग उठायी। लेकिन, सरकार ने अभी तक सुध नहीं ली। उन्होंने कहा कि पिछले साल बाढ़ से सैकड़ों मौतें हुई थीं, अभी तक सभी पीड़ित परिवारों को मुआवजा नहीं मिल पाया। बाढ़-राहत कोष मंत्रालय और जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से जमकर बंदरबाट किया गया। सरकार बाढ़ की विभीषका को गंभीरता से ले तथा बाढ़-रोकथाम के लिये ठोस एक्शन प्लान बनाये। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in

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