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आंधी व बारिश से खेतों में खड़ी 40 से 50 प्रतिशत फसल बर्बाद

-आसमान छूने लगे हैं हरी मौसमी सब्जियों के दाम गाजियाबाद, 01 जून(हि.स.)। मई माह के दूसरे पखवाड़े में दो सत्रों में रुक-रुक कर हुई तूफानी बारिश के कारण जिले के खेतों में खड़ी 40 से 50 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई है। जिसका व्यापक असर किसानों के साथ-साथ उपभोक्ताओं पर भी पड़ रहा है। इस बर्बादी से सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं और कोरोना में पहले ही परेशान लोगों पर और आर्थिक बोझ बढ़ गया है। इस तूफानी बारिश का सबसे प्रभाव खेतों में खड़ी मक्का की फसल पर पड़ा है। मक्का के पौधे की जड़ बहुत कमजोर होती है तूफान और बारिश का दबाव यह फसल नहीं झेल पाती है और जमीन पर गिरकर बर्बाद हो जाती है। इसके अलावा खेतों में खड़ी लौकी, तोरी, करेला, टिंडा, बैंगन, पालक, भिंडी, कद्दू आदि की फसल भी इस तूफानी बारिश में 40 से 50 प्रतिशत तक खराब हो गई है। फसल के ऊपर आ रहे फूल और फल भी नष्ट हो गए हैं। हिंडन नदी से सटे लगभग 35 गांव की जमीन पर नकदी फसल बोई जाती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के रहने वाले अनेक माली यहां किराए पर जमीन लेकर नकदी फसल का कार्य करते हैं। हिंडन नदी से सटे मेवला आगरी, मोरटा करहेड़ा, अटौर गांव में सब्जियों की फसल उगाने वाले लाला रामनरेश और रजनीश का कहना है कि इस महीने के दूसरे पखवाड़े के 18 और 19, 20 मई को तूफानी बारिश हुई थी। उससे बहुत नुकसान हुआ था लेकिन 31 मई की रात्रि में तूफानी बारिश ने फिर कहर बरपा दिया,जिससे रही सही फसल भी नष्ट हो गई। गाजियाबाद जिले की 161 ग्राम पंचायतों की लगभग 20 हजार एकड़ जमीन में मौसमी सब्जियों की खेती होती है। खेतों में फसल बर्बाद होने का असर सब्जियों के दामों पर भी पड़ना लाजमी है। इस समय जो लौकी पहले 15 से 20 रुपये किलो बिक रहा था अब उसकी कीमत 45 से 50 रुपये तक पहुंच गई है, जबकि तोरी और टिनड्डा 50 से 55 रुपये के बीच बिक रहा है। साहिबाबाद फल सब्जी मंडी एसोसिएशन के अध्यक्ष ज्ञान चंद यादव का कहना है कि अगले तीन-चार दिनों में इस बारिश के कहर का सब्जियों के दामों पर असर दिखाई देगा, क्योंकि खेतों में खड़ी फसल बर्बाद होने के कारण मंडियों में सब्जियों की आवक कम होगी और मांग ज्यादा होगी तो दाम अपने आप बढ़ेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/फरमान अली

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