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'माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः' को चरितार्थ करेगा 'आरएसएस'

-भूमि की सेहत सुधारने के लिए 13 अप्रैल से चलेगा राष्ट्रव्यापी अभियान - भूमि सुपोषण एवं संरक्षण अभियान में 33 संस्थाएं होंगी शामिल लखनऊ, 08 अप्रैल (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के कार्यकर्ता तथा सज्जन शक्तियां भूमि सुपोषण एव संरक्षण अभियान के तहत जैविक खेती, भूमि की उर्वरा तथा पर्यावरण को शुद्ध करने को ठान लिया है। यह देशव्यापी अभियान चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात 13 अप्रैल से शुरू होगा। आने वाला समाज इसे 'भूमि सुपोषण व जल संरक्षण' के नाते जानेगा। इस अभियान में देश की 33 संस्थाएं शामिल हैं। इस अभियान के प्रथम चरण में कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर किसान की खेत से मिट्टी लेकर विधिवत भूमि पूजन करेंगे। यह विधिवत भूमि पूजन संपूर्ण राष्ट्र में, राज्यों में, जिलों में, ग्रार्मों में एवं नगरों में किया जाएगा। इस दौरान भारतवासी खेत को रसायनिक खाद्य व कीटनाशक से पूरी तरह से मुक्त करने का संकल्प लेंगे। इसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए संघ, संत तथा समाज की सज्जन शक्तियां प्रेसवार्ता, बैठक तथा सोशल मीडिया के माध्यम से संदेश को प्रसारित करने में जुटी हुई हैं। आरएसएस के पूर्वी उप्र क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह डॉ. वीरेन्द्र जायसवाल ने कहाकि भारतीय कृषि चिंतन में 'भूमि को धरती माता' से संबोधित किया गया है। अथर्वेद के 'भूमि सूक्त' में कहा गया है, ‘माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः’, इसका भावार्थ है कि भूमि हमारी माता है, और हम उसके पुत्र हैं। तात्पर्य, भूमि को पोषण की व्यवस्था करना हमारा कर्तव्य है। यह अभियान धरती माता को बचाने के लिए समर्पित है। डॉ. जायसवाल ने बताया कि कोविड-19 के कारण बड़े कार्यक्रम नहीं होंगे। शाखा, खण्ड व गांव स्तर पर छोटे-छोटे कार्यक्रम होंगे। इस अभियान का उद्धेश्य है कि पहले मिट्टी का सेहत सुधरे, तभी मानव का स्वास्थ्य ठीक होगा। कहाकि अभी उचित समय है कि हम भारतीय कृषि चिंतन एवं उसमें उपस्थित भूमि सुपोषण संकल्पना को पुनः स्थापित करें। भूमि सुपोषण एवं संरक्षण के लिए राष्ट्र स्तरीय जन अभियान इसी दिशा में उठाया गया यह प्रथम चरण है। आरएसएस के अवध प्रान्त के प्रान्त कार्यवाह प्रशान्त शुक्ल ने बताया कि इस अभियान को कृषि एवं पर्यावरण क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं ने संकल्पित किया है। इस अभियान को संघ के अंग समग्र ग्राम विकास, पर्यावरण तथा गौ संरक्षण से जुड़े लोग गति देंगे। बताया कि इस अभियान का उद्देश्य भारतीय कृषि चिंतन, भूमि सुपोषण एवं संरक्षण की संकल्पनाओं को कृषि क्षेत्र में पुनः स्थापित करना है। इस जन अभियान के अन्तर्गत भारतीय कृषि चिंतन एवं भूमि सुपोषण को बढ़ावा देने से संबंधित कई कार्यक्रम होंगे। इस अभियान के जरिये किसानों को रसायनिक और कीटनाशक से पूरी तरह से मुक्त खेती की तरफ मोड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा, ताकि धरती, हवा और पानी को स्वच्छ करने के साथ ही लोगों को स्वस्थ रखा जा सके। गौरतलब है कि, कर्नाटक के बेंगलुरू में पिछले महीने अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की दो दिवसीय बैठक में संघ ने जैविक खेती को बढ़ावा देने का फैसला किया। इस अभियान के शुभारंभ के लिए संघ ने पूरे देश में बैठकों का दौर प्रारंभ कर दिया है। इस अभियान का प्रथम चरण तीन माह का होगा। जो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (13 अप्रैल) से आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा, 24 जुलाई 2021 तक होगी। इस अभियान से उत्तर प्रदेश के प्रत्येक गांव के किसानों को जोड़ने की कोशिश होगी। हिन्दुस्थान समाचार/राजेश

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