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नव संवत्सर पर 'धरती माता' के जयकारों से गूंजेगा 'आकाश'

- 13 अप्रैल को भूमि सुपोषण का संकल्प लेंगे किसान - कलश में भर कर अपने खेत की मिट्टी का करेंगे पूजन - प्रसाद में वितरित होंगे फल और जैविक अन्न लखनऊ, 10 अप्रैल (हि.स.)। मिट्टी को सुपोषित करने के लिए अब किसान भारतीय नव संवत्सर के दिन 13 अप्रैल को अपने खेत की मिट्टी का विधिवत पूजन करेंगे। 'कलश' में खेत की मिट्टी को रखकर किसी शुभ स्थान, देवालय या सामूहिक स्थल पर किसान गंध, अक्षत व पुष्प आदि चढ़ाकर उसका षोडशोपचार पूजन करेंगे। भूमि सुपोषण एवं संरक्षण अभियान के सह संयोजक संजीव निसुर्खा ने हिन्दुस्थान समाचार को उक्त आशय की जानकारी देते हुए बताया कि पूरे देश में 13 अप्रैल को पूर्वाह्न 10 से 11 बजे के बीच सभी किसान अपनी खेत की मिट्टी को सुपोषित करने के लिए सामूहिक संकल्प लेंगे और खेत की मिट्टी की विधिवत पूजा करेंगे। इसमें तीन कृषक परिवार सपत्नीक मुख्य यजमान की भूमिका में पूजन के लिए आगे बैठेंगे। इस दौरान गोमाता का बड़े सहित पूजन किया जाएगा। पूजन में आगे बैठे कृषक परिवार बाएं हाथ में जल से भरा पात्र रखेंगे और पुष्प से मिट्टी एवं कलश पर जल का अभिषेक करेंगे। जलाभिषेक करते समय पृथ्वी हमारी माता है और हम सब उसके पुत्र हैं, इस तरह की भावभूमि वाले 'सात' मंत्रों का उच्चारण भी करेंगे। इसके बाद पृथ्वीशांतिराप:... जैसे मंत्रों का जप करते हुए शांति पाठ का आयोजन होगा। 'भूमि: स्वर्गताम यातु, मनुष्यो यातु देवताम। धर्मो सफलताम यातु, नित्यं यातु शुभोदयम।' मंत्र के उच्चारणोपरांत धरती माता, गौ माता ग्राम देवता और भारत माता के जयघोष के बीच शंखनाद और घंटे-घड़ियाल का वादन होगा। आरती के बाद फल तथा जैविक खेती से उत्पादित अन्न का ही प्रसाद वितरित होगा। इसके उपरांत सभी किसान पूजित मिट्टी को लेकर अपने खेत में जाएंगे और पूजित मिट्टी को उसमें डाल देंगे। देशभर के किसान 13 अप्रैल को यानी भारतीय नववर्ष पर मिट्टी के सुपोषण व संरक्षण का संकल्प लेंगे। ये होंगे संकल्प 'भारत मेरा देश है। मेरे देश में मेरा स्थान-ग्रामीण या शहरी-कहीं भी हो, भारतीय संस्कृति में अभिप्रेत, भूमि के प्रति मातृभाव को धारण करने के लिए मैं सदैव कटिबद्ध हूं। धरती माता के प्रति मेरी आदरात्मक भावना मेरे क्रियाओं से एवं कर्तव्य पालन से प्रतीत होगी। भूमि सुपोषण के प्रति मेरा आजीवन योगदान इस प्रकार से होगा। - मिट्टी का क्षरण रोकना - मिट्टी के संवर्धन के उपाय कार्यान्वित करना - रसायनिक खाद, रसायनिक रोग एवं कीटनाशकों का उपयोग नहीं करना। - कृषि सिंचाई में पानी का अपव्यय टालना एवं मेड़ पर पेड़ लगाना। इन कर्तव्यों के साथ भूमि सुपोषण के अन्य विकल्प जैसे कि, भूमि के लिए हानिकारक पदार्थ, उदाहरणार्थ प्लास्टिक, थर्मोकोल इत्यादि का न्यूनतम उपयोग करना। भूमि के लिए हानिकारक पदार्थो का निबटारा सुयोग्य पद्धति से करना। कागज एवं अन्य वस्तुए,जो बनाने के लिए वृक्ष संहार होता है, उनका अत्यावश्यक हो तो ही उपयोग करना। इन वस्तुओं के पुन: उपयोग के प्रति सचेत रहना एवं वृक्षारोपण गतिविधियों में प्रत्यक्ष रूप से सहभागी होना। इन सभी विकल्पों का मैं पूरी निष्ठा से पालन करूंगा। इसमें मेरे राष्ट्र का एवं भूमि माता का हित सम्मिलित है। 'जय हिन्द' हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश

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