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एक ही मुद्दे पर दुबारा याचिका दाखिल करने पर 25 हजार हर्जाना, याचिका खारिज

प्रयागराज, 30 जून (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका खारिज होने के बाद दुबारा दाखिल याचिका को न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग करार देते हुए 25 हजार हर्जाने के साथ खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अधिगृहीत जमीन का कब्जा लेकर वर्षों पहले ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को सौंपा जा चुका है। ऐसे में जमीन की वापसी नहीं की जा सकती। यह आदेश तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय यादव तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने दादरी, सदरपुर की तेजल उप्पल की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि अधिगृहीत जमीन आबादी की है। उस पर स्कूल बना था। जिसे ध्वस्त कर दिया गया और जमीन का उपयोग नहीं किया गया। इस कारण उस जमीन को वापस किया जाय। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने यह कहा है कि जमीन पर कोई निर्माण नहीं है। इस तथ्य को चुनौती नहीं दी गयी और याची की जमीन वापसी की मांग अस्वीकार करने के राज्य सरकार के आदेश की चुनौती याचिका वापस ले ली गयी थी। दुबारा याचिका दाखिल करने की कोर्ट से छूट भी नहीं ली गयी। ऐसे में उसी मुद्दे पर दुबारा याचिका न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग है। कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/विद्या कान्त

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