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कोविड प्रोटोकाॅल के तहत घरों में मनाई गई महारानी के विवाह की 179वीं वर्षगांठ

- राजा-रानी के चित्रों के समक्ष दीपक जलाकर घरों को सजाया झांसी,19 मई (हि.स.)। इतिहास में शौर्य की गाथा की अमिट छाप छोड़ने वाली वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई व राजा गंगाधर राव की नगरी झांसी में उनके विवाह की 179वीं वर्षगांठ बुधवार की देर शाम को लोगों ने कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए घरों पर ही रहकर मनाई। इस दौरान लोगों ने राजा-रानी के चित्रों के सामने दिये जलाकर और घरों को सजाकर यह उत्सव मनाया। उनके विवाह के साक्षी गणेश मंदिर को भी सजाया गया। प्रत्येक वर्ष इस विवाह कार्यक्रम का संचालन करने वाली समिति के संयोजक पीयूष रावत ने बताया कि यूं तो राजा-रानी के विवाहोत्सव को झांसीवासी धूमधाम से मनाते थे। यही नहीं लक्ष्मी व्यायाम मंदिर(एलवीएम) से एक शोभायात्रा निकाली जाती थी जो गणेश मंदिर में समाप्त होती थी। गणेश मंदिर का अपना ऐतिहासिक महत्व है। इसी मंदिर में राजा और रानी का विवाह संपन्न हुआ था। हर साल इसी मंदिर में शोभायात्रा का समापन यहां किये जाने के बाद सांकेतिक रूप से राजा-रानी का विवाह भी कराया जाता था। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए मंदिर में उपस्थित रहते थे लेकिन पिछले साल से कोरोना महामारी के कारण यह आयोजन नहीं हो पा रहा है। इस वर्ष भी कोरोना के घातक प्रभाव के चलते विवाह का आयोजन भव्य रूप से नहीं किया जा सका लेकिन मंदिर में समिति के लोगों ने साधारण रूप से विवाहोत्सव मनाते हुए राजा-रानी की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि की और दीप प्रज्ज्वलित किये। पीयूष रावत ने बताया कि इस महामारी काल में लोगों से घरों पर ही रहकर विवाहोत्सव मनाने की अपील की गयी है और लोग घर पर ही रहकर हर्षोल्लास के साथ इस दिन को मना रहे हैं। मंदिर में इसके अलावा समिति और आयोजन समिति के अध्यक्ष राजीव इंदापुरकर, सचिव गजानन खानवलकर, उज्जवल देवधर और राहुल खांडेकर आदि मौजूद रहे। हिन्दुस्थान समाचार/महेश

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