घर की देखभाल के कारण बाहर कम भागीदारिता कर पाती हैं महिलाएं  : न्यायमूर्ति
घर की देखभाल के कारण बाहर कम भागीदारिता कर पाती हैं महिलाएं : न्यायमूर्ति

घर की देखभाल के कारण बाहर कम भागीदारिता कर पाती हैं महिलाएं : न्यायमूर्ति

-लखनऊ विवि में अंतरराष्ट्रीय वेब टाक शो में शामिल हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश लखनऊ, 26 जुलाई (हि.स.)। लखनऊ विश्वविद्यालय में सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेब टॉक शो “जेंडर स्टीरियोंटाइप्स ए लिवड् रियलटी” के दूसरे दिन मुख्य अतिथि मनीष कुमार, न्यायाधीश, उच्च न्यायालय इलाहाबाद शामिल हुए। न्यायमूर्ति मनीष कुमार ने बताया कि न्यायालय में जेंडर भेदभाव न के बराबर होता है। महिलाओं को घर की देखभाल भी करनी पड़ती है। इसलिए वो बाहर के कार्यों में अपनी भागीदारिता कम कर पाती है, जबकि महिलाएं न्यायिक क्षेत्र में बहुत अच्छा कार्य कर रही हैं । उन्होनें यह भी कहा कि मेरी पु़त्री होगी तों मै उसें जरूर इस क्षे़त्र में लाना चाहूॅगा। 10 से 15 प्रतिशत महिलाएं ही न्यायिक क्षेत्र में है, बाकी सभी पुरूष हैं। दूसरी अन्य मुख्य अतिथि एचआइवी एलाइंस की सिमरन शेख शामिल हुई । शेख ने बताया कि बिना संघर्ष के कोई जीवन नहीं है। पारसी लड़के के साथ ये घर से बाहर आयी और सड़कों पर जीवन बिताया और लोगों के सामने हाथ फैलाने में शर्म आती थी। सड़कों पर इनकों भटकता देखकर किन्नर समाज ने इन्हें अपनाया। शेख ने यह भी बताया कि समाज ने इन्हें तो कभी भी नहीं अपनाया। इन्होंने बार -डॉंसर का जीवन भी व्यतीत किया। इस दौरान वेश्यावृत्ति में भी इन्होंने कदम रखा। फिर भी इन्होंने माना कि पढ़ना जरूरी है और अपनी पढ़ाई कों जारी रखा। उन्होनें बातचीत के दौरान यह भी बताया कि ये भारत का प्रतिनिधित्व युनाइटेड नेशन्स में करती हैं। इन दोनों वक्ताओं की बातचीत राजनीति विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रों0 मनुका खन्ना से हुई। कार्यक्रम की संयोजिका डा, अर्चना शुक्ला, समन्वयक, महिला अध्ययन संस्थान ने बताया समाज में बदलाव लाने की आवश्यकता है, जिसमें कुछ ज्वलंत मुद्दें समाज कों न केवल स्वीकारनें पड़ेंगें। बल्कि उनके प्रति संवेदनशील भी होना पड़ेगा। हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/दीपक-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.