नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। एमपी के हरदा में जिस पटाखा फैक्ट्री में 6 फरवरी को आग लगी, वो बिना लाइसेंस के चल रही थी। इस फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर काम कराया जा रहा था। फैक्ट्री में आग लगने के बाद कई घंटों तक धमाके की आवाज़ आती रही। इस हादसे में 11 मजदूरों की मौत हो गई, वहीं 175 से ज्यादा लोग घायल हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो ये फैक्ट्री 20 साल से ऐसे ही बिना लाइसेंस के चल रही थी।
बिना लाइसेंस के चल रही थी पटाखा फैक्ट्री
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2017 में पटाखा यूनिट मालिकों ने विस्फोट अधिनियम के तहत लाइसेंस रिन्यू करने के लिए आवेदन किया था। तब सामने आया था कि हरदा की ये फैक्ट्री बिना लाइसेंस के पटाखों का निर्माण कर रही थी। तब के लाइसेंस में केवल चाइनीज़ पटाखों और फुलझड़ी के भंडारण और बिक्री की परमिशन इस फैक्ट्री के पास थी। अधिकारियों ने 2017 में इस फैक्ट्री को सील कर दिया था। लगभग सालभर ये फैक्ट्री बंद रही। हालांकि, 2018-19 में फैक्ट्री में फिर से काम चालू हो गया, साल 2022 में फैक्ट्री के भंडारण और बिक्री का लाइसेंस रिन्यू किया गया था। लेकिन केवल भंडारण और बिक्री तक सीमित न रहकर ये कंपनी पटाखा निर्माण भी कर रही थी।
पहले भी हो चुका है विस्फोट
NDTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस फैक्ट्री में तीन साल पहले भी एक विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट में एक ही परिवार की तीन महिला मजदूरों की मौत हो गई थी।
तेज विस्फोट से लोगों के घरों के दरवाज़े-खिड़कियां टूट गईं
पटाखा विस्फोट मामले में तीन लोगों को अभी तक गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तार किए गए लोगों में फैक्ट्री के मालिक राजेश अग्रवाल, सोमेश अग्रवाल और उनके साथी रफीक खान शामिल हैं। हरदा जिले में पटाखा विस्फोट के बाद अब पूरे क्षेत्र में भूकंप जैसे हालात बन गए हैं। विस्फोट इतना तेज था कि आसपास के घरों के दरवाजे और खिड़कियां तक टूट गई हैं।
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