सरकार के खिलाफ आवाज उठाना देशद्रोह नहीं, लोकतंत्र में आस्था : गहलोत
सरकार के खिलाफ आवाज उठाना देशद्रोह नहीं, लोकतंत्र में आस्था : गहलोत

सरकार के खिलाफ आवाज उठाना देशद्रोह नहीं, लोकतंत्र में आस्था : गहलोत

जयपुर, 09 दिसम्बर (हि. स.)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार के खिलाफ आवाज उठाना, अपने अधिकार मांगना देशद्रोह नहीं, लोकतंत्र में सच्ची श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। आज कोई भी मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसे देश विरोधी करार दे दिया जाता है। मुख्यमंत्री ने बुधवार दोपहर दो ट्वीट कर किसान आंदोलन पर केन्द्र सरकार के रवैये की आलोचना की। उन्होंने लिखा कि केंद्र सरकार में बैठे अधिकारी कह रहे हैं कि भारत में लोकतंत्र ज्यादा है, इसलिए यहां रिफॉर्म संभव नहीं हैं। ये बयान केवल सरकार को खुश करने के लिए है। जिस तरह लोकतंत्र की आड़ में केंद्र सरकार ने सभी संवैधानिक प्रक्रियाओं को ताक पर रख कर विभिन्न कानून पास किए है। गहलोत ने लिखा कि भारत में उदारीकरण और उसके बाद रिफॉर्म मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री एवं प्रधानमंत्री रहते समय ही हुए थे। जिनकी बुनियाद पर देश की अर्थव्यवस्था टिकी है। लेकिन, तब ना ही लोग सडक़ों पर आए और ना ही किसी ने ठगा हुआ महसूस किया। यह सोचना चाहिए कि अब ऐसा क्या कारण है कि लोगों को सडक़ों पर उतरकर भारत बंद का ऐलान करना पड़ा। ध्रुवीकरण की राजनीति करने वाले ये लोग धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा दे रहे हैं। यह आने वाली पीढिय़ों के लिए खतरनाक है और वो इन्हें कभी माफ नहीं करेंगी। गहलोत ने लिखा कि किसानों के मुद्दे पर मोदी जी ने चुप्पी साध ली। अगर वो किसानों के हक में सही निर्णय लेते तो किसानों को आंदोलन नहीं करना पड़ता। ऐसी क्या जरुरत पड़ी कि 10 केन्द्रीय मंत्रियों एवं बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को किसान आंदोलन के खिलाफ उतरना पड़ा? क्योंकि मोदी सरकार ने किसानों और विपक्ष समेत किसी स्टेकहोल्डर से संवाद ही नहीं किया। अगर संवाद किया होता तो यह जरुरत ही नहीं पड़ती। गहलोत ने लिखा कि पहले भी देश की जनता ने अपने प्रधानमंत्रियों पर यकीन किया है। उनके बनाए कानूनों का स्वागत किया है। कोरोनकाल में लोगों ने उनके कहने पर ताली, थाली, घंटी बजाई। मोमबत्ती जलाई, लेकिन किसानों के मुद्दे पर मोदी जी ने चुप्पी साध ली। प्रधानमंत्री जी को अब भी सभी से संवाद स्थापित कर उनकी बात सुननी चाहिए और उनकी समस्याओं का हल निकालना चाहिए। अभी तक वो ऐसा करने में नाकाम रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप-hindusthansamachar.in

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