विद्यार्थी समाज के प्रकाश पुंज, उन्हीं के आलोक से राष्ट्र होता है प्रकाशित- राज्यपाल
विद्यार्थी समाज के प्रकाश पुंज, उन्हीं के आलोक से राष्ट्र होता है प्रकाशित- राज्यपाल

विद्यार्थी समाज के प्रकाश पुंज, उन्हीं के आलोक से राष्ट्र होता है प्रकाशित- राज्यपाल

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का 28वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न उदयपुर, 22 दिसम्बर (हि.स.)। उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का 28वां दीक्षांत समारोह मंगलवार को विवेकानंद ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ। कोविड गाइडलाइंस का पालन करते हुए ऑफलाइन माध्यम से दीक्षांत समारोह करने वाला सुखाड़िया विश्वविद्यालय प्रदेश का पहला शैक्षणिक संस्थान है। इसमंे राज्यपाल एवं कुलाधिपति एवं मुख्य वक्ता ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। समारोह में 91 विद्यार्थियों को पीएचडी की वर्चुअल तरीके से प्रदान की गई जबकि सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले 51 स्वर्णपदक विजेता सभागार में उपस्थित थे जिन्हें कुलपति प्रो अमेरिका सिंह ने स्वर्ण पदक प्रदान किए। राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने सभी विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह की बधाई दी एवं कहा कि उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से यह उम्मीद करता हूं कि वे अपने व्यवहारिक जीवन में, हमारे समाज और देश में व्याप्त विषमताओं, कुरीतियों को खत्म करने के दिशा में अपने सीखे हुए ज्ञान का सदुपयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि संविधान लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास का मूल मंत्र है। विश्वविद्यालयी शिक्षा में इससे विद्यार्थियों की निकटता भी जरूरी है ताकि इसके मनन से वे देश के जिम्मेदार नागरिक के रूप में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकें। विद्यार्थी किसी भी देश और समाज के प्रकाश पुंज होते हैं, उन्हीं के आलोक से राष्ट्र प्रकाशित होता है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा संविधान पार्क निर्माण में की गई पहल पर बधाई देते हुए कहा कि विद्यार्थियों को संविधान के प्रति निरंतर जागरूक करना, अपने देश के प्रति अपने कर्तव्य का बोध कराना बेहद जरूरी है क्योंकि संविधान भारतीय संस्कृति का जीवन दर्शन है। मेवाड़ को शौर्य और बलिदान की धरा बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि महाराणा कुंभा का भारतीय शिल्प, कला, स्थापत्य के उन्नयन में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। उन पर शोध नई पीढ़ी में नवीन संस्कार के बीजारोपण कर सकता है। उन्होंने कहा कि महाराणा कुंभा के कामों पर शोध के लिहाज से और काम किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आधुनिक ज्ञान विज्ञान से जुड़े समाज उपयोगी विषयों के पाठ्यक्रम अंग्रेजी के साथ ही हिंदी में भी तैयार किए जाने चाहिए। उन्होंने संस्कृत को भारतीय संस्कृति का मूल बताते हुए विश्वविद्यालय से कहा कि संस्कृत के ऐसे ग्रंथों को सूचीबद्ध किया जाए जिनमें हमारी सांस्कृतिक परंपराओं, कलाओं, ज्ञान विज्ञान और आयुर्वेद से जुड़ी महत्वपूर्ण सामग्री संग्रहित है। उन्होंने नई शिक्षा नीति को भारतीय ज्ञान और विज्ञान के सतत विकास की मूल प्रेरणा के साथ समन्वय करने वाली बताया जो कि ज्ञान आधारित समाज के निर्माण के साथ ही विद्यार्थी केंद्रित है। तेजी से बदलते वैज्ञानिक युग में हमें वैश्विक मानकों के साथ चलना पड़ेगा, साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि वैश्वीकरण से हमारी संस्कृति का किसी भी स्तर पर नुकसान ना हो। रक्षा मंत्रालय में ब्रम्होस परियोजना के प्रबंध निदेशक डॉ सुधीर कुमार मिश्रा ने ‘शिक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा’ विषय पर दीक्षांत उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा देश में शांतिपूर्ण वातावरण सुनिश्चित करती है ताकि राष्ट्र अपने विकास पर ध्यान केंद्रित कर सके। हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों को बनाए रखना, उनमें वृद्धि करना, शत्रु के किसी भी दुस्साहस को रोकने के लिए प्रतिरोधी क्षमता को मजबूत करना बहुत जरूरी है। भारत के सशस्त्र बल दुनिया के सबसे बड़े और शक्तिशाली बलों में से एक है जो कि किसी भी बाहरी आक्रमण से लड़ने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश और उस के नागरिकों का विकास कुछ प्रमुख कारकों पर निर्भर करता है जिनमें स्वास्थ्य, शिक्षा, समानता, रोजगार सृजन, धन सृजन, आर्थिक अवसर और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल शामिल है। भारत एक समृद्ध राष्ट्र है जो उर्जावान युवाशक्ति एवं विशाल संसाधनों से युक्त है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के द्वारा प्रोद्योगिकी का विकास इसका सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है। इसके जरिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, थ्रीडी प्रिंटिंग हमारे जीवन का रूप बदल रहे हैं और हमारी उत्पादकता में वृद्धि कर रहे हैं। ब्रह्मोस की अपार सफलता की कहानी बताते हुए उन्होंने इसे दुनिया का सबसे तेज और घातक आक्रामक शस्त्र बताया। इस तकनीकी रूप से उन्नत सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना के साथ तैनात किया गया है। ब्रम्होस एयरोस्पेस आज बीस हजार लोगों को रोजगार प्रदान कर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहा है। इससे ना केवल रोजगार सृजन हुआ है बल्कि यह मेक इन इंडिया और डिजाइन इन इंडिया का सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया है। कुलपति प्रो अमेरिका सिंह ने शुरू में सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए वर्ष भर की अकादमिक उपलब्धियों का लेखा जोखा प्रस्तुत किया। प्रो सिंह ने गत चार महीनों में किये एमओयू, नवाचारों और नए पाठ्यक्रमों के बारे में बताया। शुरू में राष्ट्रगान और कुलगीत के बाद राज्यपाल ने सभी को मूल कर्तव्यों की शपथ दिलाई। कार्यक्रम का अकादमिक संचालन वित्त नियंत्रक और कार्यवाहक रजिस्ट्रार सुरेश जैन ने किया। दीक्षान्त समारोह में जनार्दन राय नागर विद्यापीठ के कुलपति प्रो एसएस सारंगदेवोत और जिला प्रमुख ममता कुंवर भी उपस्थित थीं। स्वर्ण पदक में छात्राएं शिखर पर गत वर्ष विभिन्न परीक्षाओं में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वालों को स्वर्ण पदक प्रदान किया जाता है। इस वर्ष जिन 51 लोगों ने आवेदन किया था उनमें से 41 छात्राओं ने स्वर्ण पदक प्राप्त कर सुनहरे अक्षरों में अपना नाम दर्ज किया। चांसलर स्वर्ण पदक में सभी पांचों संकायों में छात्राओं का कब्जा रहा। इनमें विज्ञान में अलीशा हबीब, विधि में सोनल शर्मा, पृथ्वी विज्ञान में कृतिका गुप्ता, शिक्षा संकाय में खुशबू टांक व सामाजिक विज्ञान संकाय में सुनीता सुवालका को चांसलर स्वर्ण पदक दिया गया। बीते शैक्षिक सत्र में कुल 139 विद्यार्थियों ने पीएचडी प्राप्त की थी। इनमें से दीक्षांत समारोह में डिग्री प्राप्त करने के लिए 91 लोगों ने आवेदन किया था। इसमें प्रबंध अध्ययन संकाय में तीन, वाणिज्य संकाय में सात, मानविकी संकाय में 27, सामाजिक एवं सामाजिक विज्ञान संकाय में 17, पृथ्वी विज्ञान संकाय में तीन, विज्ञान संकाय में 16, शिक्षा संकाय में 19 एवं विधि संकाय में 2 विद्यार्थियों ने पीएचडी प्राप्त की। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल / ईश्वर-hindusthansamachar.in

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