राजस्थान में नवरात्रि के उल्लास पर छाया रहेगा महामारी का ग्रहण
जयपुर, 16 अक्टूबर (हि.स.)। मां की आराधना का महापर्व नौ दिवसीय नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू होगा, लेकिन इस बार नवरात्र पर कोरोना का ग्रहण रहेगा। नवरात्र के दौरान इस बार न तो गुजराती गरबा की धमक सुनाई देगी और न ही डांडिया की रंगत बिखरेगी। नवरात्र के गरबा पांडाल भी इस बार सूने ही रहेंगे। कोरोना महामारी के संक्रमण की वजह से नवरात्र के प्रति आमजन में उत्साह तो है, लेकिन महामारी के संक्रमण को देखते हुए सार्वजनिक कार्यक्रमों से परहेज किया जा रहा है। प्रदेश में आश्विन शुक्ल पक्ष एकम यानी 17 अक्टूबर से मातारानी के आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र की शुरुआत होगी। इस दिन घट स्थापना होगी और इसके साथ ही 9 दिनों तक माता के नौ रूपों की पूजा-अर्चना और अनुष्ठान होंगे। शारदीय नवरात्र का महत्व इसलिए भी खास हो जाता है, क्योंकि इससे गरबा-रास और डांडिया की खनक जुड़ी है। लेकिन, इस बार ऐसा कुछ भी नहीं होगा। नवरात्र पर कोरोना का असर है। नवरात्र के तहत इस बार कोरोना नियमों की पालना करते हुए घट स्थापना और पूजा-अर्चना के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। हर बार की तरह इस बार बड़े गरबा पांडाल नहीं सजेंगे। कोरोना के कारण इस बार गरबा कार्यक्रमों को लेकर सरकार और प्रशासन की ओर से अनुमति नहीं दी गई है। इस कारण इस बार केवल माताजी के मंदिरों को सजाया गया है। इस बार चौक और चौराहों की न तो सजावट की गई है और न ही आकर्षक रोशनी बिखरी है। इसी कारण न तो गुजराती गरबा की धुनें बजेगी और न ही डांडिया खेला जाएगा। कोरोना के चलते इस बार सिर्फ पूजा-अर्चना के कार्यक्रम ही होंगे। रोजाना मातारानी की आरती दो गज की दूरी के नियम की पालना के साथ की जाएगी। प्रदेश के बड़े माता मंदिरों पर भरने वाले मेले भी इस बार नहीं भरेंगे। नवरात्र की सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर यज्ञ-हवन, आहुतियां और अन्य कई तरह के कार्यक्रम होते रहे हैं। इन दिनों में प्रदेश के शक्तिपीठों पर मेले भी भरते हैं। हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शनों के बाद मेलों में शामिल होते है, लेकिन इस बार कोरोना के कारण मेले नहीं भरेंगे और न ही लोगों की भीड़भाड़ होगी। ज्योतिषियों की मानें तो हिन्दू वर्ष में चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र होते है। इसमें शारदीय नवरात्र का अपना अलग महत्व है। 19 सालों बाद इस बार अधिकमास के बाद नवरात्र पूरे 9 दिन का है। इस दौरान कई विशेष योग बन रहे हैं, जिसमें खासकर त्रि-पुष्कर योग, सर्वार्थसिद्धि योग और अमृतसिद्धि योग विशेष लाभप्रद रहेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ ईश्वर-hindusthansamachar.in