प्रवासी परिंदों को अब भी रास आ रही मेवाड़ की आबोहवा
प्रवासी परिंदों को अब भी रास आ रही मेवाड़ की आबोहवा

प्रवासी परिंदों को अब भी रास आ रही मेवाड़ की आबोहवा

-कई प्रवासी प्रजातियां लौटी नहीं हैं अब तक उदयपुर, 14 जून (हि.स.)। कोरोना महामारी के कारण घोषित लॉक डाउन के दौरान एक ओर जहां प्रदूषण स्तर में बड़े स्तर पर गिरावट नजर आई वहीं विभिन्न जलाशयों में भी शीतकाल गुजरने के बाद भी स्थानीय व प्रवासी पक्षी प्रजातियों की मौजूदगी से लगा कि लॉकडाउन के कारण स्वच्छ हुआ पर्यावरण इन्हें रास आ रहा है। जो प्रवासी पक्षी होली के बाद अपने मूल स्थानों को लौटना शुरू कर देते हैं उनमें से कई अब भी मेवाड़ की आबोहवा में अठखेलियां कर रहे हैं। यह तथ्य एक बार फिर रविवार को भी उदयपुर जिले के पक्षीप्रेमियों द्वारा किए गए नमभूमि वाले क्षेत्रों के भ्रमण में सामने आया है। रविवार को जिले के प्रसिद्ध पक्षीगांव मेनार तथा समीप के ही बड़वई और किशन करेरी तालाबों के क्षेत्रीय भ्रमण दौरान वागड़ नेचर क्लब के डॉ. कमलेश शर्मा व पक्षी विशेषज्ञ विनय दवे और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के संभागीय अधिकारी अरुण सोनी के नेतृत्व में सदस्यों ने पाया कि हिमालय की तराई में प्रजनन करने वाले पांच से अधिक जोड़े ग्रेट क्रस्टेड ग्रीब को मेनार तालाब बड़ा पसंद आया है और वह अपने चिक्स के साथ यहां जलक्रीड़ा करते नजर आए। इसके साथ ही मेनार तालाब पर तीन सौ से अधिक संख्या में फ्लेमिंगों की इतने लंबे समय तक मौजूदगी भी यहां के शुद्ध पर्यावरण और भरपूर पानी और भोजन की उपलब्धता को दर्शाता है। इन तालाबों पर विसलिंग टील, पर्पल हेरोन और कॉमन कूट्स भी प्रजनन उपरांत अपने चिक्स को फीडिंग कराते नजर आए। इसी प्रकार स्पून बिल, ब्लैक हैडेड आईबिस, पेंटेड स्टॉक्र्स भी बड़ी संख्या में दिखाई दिए। पक्षी विशेषज्ञ विनय दवे ने बताया कि इन दिनों इतनी बड़ी संख्या में स्थानीय व प्रवासी पक्षी प्रजातियों की मौजूदगी दर्शाती है कि भरे-पूरे तालाबों के कारण इन पक्षियों को पर्याप्त मात्रा में भोजन की उपलब्धता हो रही है। ऐसे में मानसून आने पर आशा की जाती है कि पानी और भोजन भरपूर होने पर ज्यादा संख्या में पक्षी प्रजातियां प्रजनन करेंगी। इससे इनकी संख्या बढ़ेगी और पर्यावरण संतुलित होगा। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल / ईश्वर-hindusthansamachar.in

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