उष्ट्र प्रजनन पर अन्र्तराष्ट्रीय वेबिनार में 65 देशों के 1324 प्रतिभागियों ने भाग लिया
उष्ट्र प्रजनन पर अन्र्तराष्ट्रीय वेबिनार में 65 देशों के 1324 प्रतिभागियों ने भाग लिया

उष्ट्र प्रजनन पर अन्र्तराष्ट्रीय वेबिनार में 65 देशों के 1324 प्रतिभागियों ने भाग लिया

बीकानेर, 12 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान के बीकानेर स्थित वेटरनरी विश्वविद्यालय व भारतीय पशु प्रजनन अध्ययन सोसाइटी (इसार) के संयुक्त तत्वावधान में ऊंट प्रजनन विषय पर रविवार को अन्र्तराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इस अन्र्तराष्ट्रीय ऑनलाइन वेबिनार में 65 देशों के 1324 प्रतिभागियों ने पंजीकृत किया। वेबिनार के मुख्य अतिथि प्रो ए.के. मिश्रा, अध्यक्ष कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल, नई दिल्ली ने कहा कि ऊंट मरूस्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए उपयोगी पशु है अत: इसके उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। ऊंटों में प्रजनन पद्धति सही हो तो उनसे अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। उन्होंने आयोजकों की इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा के लिए सराहना की। वेबिनार में चर्चा के दौरान कुलपति प्रो विष्णु शर्मा ने बताया कि ऊंट राजस्थान का राज्य पशु है इसके उन्नयन एवं संरक्षण की महत्ती आवश्यकता है। वर्तमान में ऊंट की सामाजिक उपयोगिता को बढ़ाने में ऊंट के दूध का विशेष योगदान है। मनुष्य में यह मधुमेह रोगियों के लिए भी बहुत उपयोगी है अत: ऊंट के दूध को बाजार में लोकप्रिय बनाने एवं इसके विपणन के लिए औद्योगिक संस्थान एवं राज्य सरकार के साथ समन्वय स्थापित करने पर बल दिया। भारतीय पशु प्रजनन अध्ययन सोसाइटी के राजस्थान चैप्टर के अध्यक्ष प्रो गोविन्द नारायण पुरोहित ने ऊंट प्रजनन की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। वेबिनार के मुख्य वक्ता डॉ सुमन्त व्यास, प्रधान वैज्ञानिक, उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर ने ऊंटों में कृत्रिम गर्भाधान एवं भ्रूण प्रत्यारोपण पर जानकारी दी। वेबिनार के दौरान प्रो जे.एस. मेहता, प्रसूति एवं मादा रोग विज्ञान विभाग, वेटरनरी कॉलेज, बीकानेर ने ऊंटों में सामान्य प्रसव एवं जटिलताओं के बारे में बताया। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/ ईश्वर-hindusthansamachar.in

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