उद्योग परिसंघ लोकल नवाचारों, डिजायन और अनुसंधानों की पहचान कर उन्हें आगे लाएं -राज्यपाल
उद्योग परिसंघ लोकल नवाचारों, डिजायन और अनुसंधानों की पहचान कर उन्हें आगे लाएं -राज्यपाल

उद्योग परिसंघ लोकल नवाचारों, डिजायन और अनुसंधानों की पहचान कर उन्हें आगे लाएं -राज्यपाल

जयपुर, 10 नवम्बर(हि.स.) । राज्यपाल कलराज मिश्र ने उद्योगों को अपने यहां पर अनुसंधान और डिजाइन के नवाचारों को प्रोत्साहित करने वाली संस्थागत प्रणाली विकसित करने का आह्वान किया है। उन्होंने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) को राज्यों में नवीनतम अनुसंधान और डिजाइन पेटेंट कराने के लिए उद्यमियों को प्रेरित करने की नीति पर कार्य करने पर जोर दिया है। उन्होंने ‘शिक्षित अर्थव्यवस्था’ की सोच के साथ काम करने पर जोर देते हुए कहा कि औद्योगिक विकास के लिए सरकार और उद्यमियों की साझा समझ विकसित किये जाने से ही देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ सकती है। मिश्र मंगलवार को यहां राजभवन में भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा ‘अनुसंधान विकास एवं नवाचारों के जरिये औद्योगिक विकास’ विषयक राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के नवाचार अपनाते हुए उच्च विकास वृद्धि की रणनीति पर कार्य करना आज समय की जरूरत है। इसके लिए छोटे छोटे स्थानों पर होने वाले लोकल नवाचारों, डिजायन के नवीनतम रूपों और अनुसंधानों की पहचान कर उन्हें आगे लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश में क्षमताओं की कमी नहीं है, पर एक राष्ट्रीय अनुसंधान और नवाचार प्रणाली के आवश्यक घटकों के विकास में औद्योगिक क्षेत्रों को आगे आकर कार्य करने की जरूरत है। राज्यपाल ने भारत सरकार द्वारा देशभर के राज्यों में पेटेंट सूचना केन्द्रों, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहायता केंद्रों के लिए किए प्रयासों की चर्चा करते हुए कहा कि इनमें उपलब्ध अवसरों के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहित करने में उद्योग परिसंघ जैसी संस्थाएं अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर देश में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सोच के साथ जो आर्थिक विकास के कदम उठाए गए हैं उनके कारण ही सितम्बर 2020 में भारत वैश्विक नवाचारों के सूचकांक में विश्व के 50 प्रमुख देशों में शुमार हुआ है। अब तक के इतिहास में यह पहली बार हुआ है। मिश्र ने कहा कि उद्योगों के विकास के लिए ‘टूल्स रूम’ की नीति पर उन्होंने सूक्ष्म, लघु और उद्योग मंत्री रहते कार्य किया था। इससे बहुत से उद्योगों को दक्ष व्यक्तियों की उपलब्धता ही नहीं हुई बल्कि नवाचारों को भी वृहद स्तर पर प्रोत्साहन मिला। राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें व्यावसायिक दक्षता पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्हाेंने कहा कि स्वयं उन्होंने उच्च शिक्षा में औद्योगिक विकास की समझ के पाठ्यक्रम विकसित किए जाने के लिए कहा है। इससे ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में विश्वविद्यालयों, उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्ययन कर रही नई पीढ़ी का भी सक्रिय सहयोग मिल सकेगा। उन्होंने अनुसंधान और नवाचारों के लिए देश में प्रभावी वातावरण बनाए जाने पर भी जोर दिया। इससे पहले भारतीय उद्योग परिसंघ के विशाल बैद, डॉ. आर.सोंडे, मंयकल सिंघल, वेंकटेश्वर राव, ऋषि बैद, संजय साबू और नीतिन गुप्ता ने उद्योगों से जुड़े विभिन्न आयामों के साथ ही अर्थव्यवस्था में औद्योगिक इकाइयों के पृथक-पृथक योगदान पर महत्ती विचार रखे। हिन्दुस्थान समाचार/संदीप / ईश्वर-hindusthansamachar.in

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