इस साल गांव-कस्बों में 4 दिन में बिखरी पांच दिवसीय दीपोत्सव की खुशियां
इस साल गांव-कस्बों में 4 दिन में बिखरी पांच दिवसीय दीपोत्सव की खुशियां

इस साल गांव-कस्बों में 4 दिन में बिखरी पांच दिवसीय दीपोत्सव की खुशियां

जयपुर, 16 नवम्बर (हि. स.)। भगवान श्रीराम के लंका फतह कर अयोध्यापुरी लौटने और भगवान श्रीराम के राजतिलक के अवसर पर हर साल मनाया जाने वाला दीपावली का पांच दिवसीय त्योहार इस साल 4 दिनो में ही मना। कोरोना महामारी के संक्रमण के लगातार बढ़ते दायरों के कारण सरकारी बंदिशों के चलते इस साल हालांकि दीपोत्सव के त्यौहार को लेकर हर साल जैसी रौनक तो नहीं रही, लेकिन त्यौहार को लेकर प्रदेशवासियों की खुशियां हिलोरे मारती रही। त्रयोदशी और चतुर्दशी एक ही दिन पडऩे के कारण धनतेरस और छोटी दीपावली का त्योहार जहां 13 नवंबर को मनाया गया, वहीं दीपावली का पूजन 14 नवंबर को पूरे विधि-विधान से कर प्रदेशवासियों ने सुख-सौभाग्य तथा खुशहाली का वरदान मांगा। 15 को गोवर्धन पूजा की गई तो 16 नवम्बर को भैयादूज का पर्व मनाकर बहनों ने अपने भाइयों के लम्बी उम्र की कामना की। कोरोना महामारी की बंदिशों के बीच इस साल प्रदेश के शहरों, कस्बों व गांवों में सजावट से भरपूर बाजार, रंग-बिरंगी चमकीली लडिय़ों से सजी दुकानें, मिट्टी के दीयों के साथ रखीं रंगीन मोमबत्तियां, पीले लड्डुओं और पारम्परिक मिठाईयों के बीच अपनी जगह पर फैले सुन्दर चॉकलेट के डिब्बे तो रहे, लेकिन महामारी के खौफ की वजह से आतिशबाजी और पटाखों पर लगी रोक ने दीपोत्सव का मजा किरकिरा कर दिया। राज्य सरकार की ओर से पटाखों और आतिशबाजी पर रोक लगाने के कारण बाजार में पटाखों की दुकानें नहीं सज पाईं। बच्चों में दिवाली को लेकर उल्लास तो रहा, लेकिन पटाखे नहीं फोड़ पाने का अफसोस भी बहुत हुआ। इस बार चार दिवसीय दीपोत्सव की शुरूआत 13 नवम्बर यानी धनतेरस और छोटी दिवाली के साथ हुआ। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन आयुष्मान योग और चित्रा नक्षत्र में शुरू होने वाली धनतेरस से दीपपर्व 43 साल बाद पांच दिन के बजाय चार दिन का रहा। प्रदेशभर में 13 नवम्बर को धनतेरस का पर्व धन्वंतरी जयंती के रूप में मनाया गया। धनतेरस व छोटी दिवाली से लेकर घरों, प्रतिष्ठानों तथा कारखानों को दीयों से रोशन करने को लेकर आमजन में उत्साह रहा। 14 नवम्बर को रंगीन रोशनी से सजे-धजे घरों, प्रतिष्ठानों व कारखानों में माता लक्ष्मी, कुबेर व भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की गई। इसके अगले दिन 15 नवम्बर को अलसुबह श्रद्धालुओं महिलाओं ने गोवद्र्धन पूजा की। जबकि, पांच दिवसीय दीपोत्सव के चौथे दिन 16 नवम्बर को भाई-दूज का पर्व उत्साह व उमंग के साथ मनाया गया। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप-hindusthansamachar.in

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