अन्त्योदय की संकल्पना ही वास्तविक मानवीयता है- राज्यपाल
अन्त्योदय की संकल्पना ही वास्तविक मानवीयता है- राज्यपाल

अन्त्योदय की संकल्पना ही वास्तविक मानवीयता है- राज्यपाल

जयपुर, 25 सितम्बर (हि.स.)। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि पं. दीनदयाल उपाध्याय का एकात्ममानववाद आज भी प्रासंगिक है। भारतीयता पर आधारित समाज की व्यवस्था के लिए एकात्ममानववाद का होना आवश्यक है। इस वाद को व्यावहारिक तरीके से धरातल पर लागू करना आज की जरूरत है। जिस प्रकार व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए प्राणायाम की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार समाज की स्वस्थता के लिए अर्थायाम का होना आवश्यक है। पंडित जी कहते थे कि अर्थ से कोई व्यक्ति वंचित नही होना चाहिए। समाज में सभी का विकास होना आवष्यक है। इसके लिए समाज में सभी को अर्थ मिले ऐसे स्वरूप का निर्माण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अन्त्योदय की संकल्पना ही वास्तविक मानवीयता है। राज्यपाल मिश्र शुक्रवार को यहां राजभवन से सीकर के पं. दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पं. दीनदयाल उपाध्याय के सामाजिक व आर्थिक चिन्तन पर वेबिनार को वीडियो कान्फ्रेन्स के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने इस अवसर पर संविधान की प्रस्तावना और कर्तव्यों का वाचन भी कराया। राज्यपाल ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म आज से 104 वर्ष पूर्व आज ही के दिन हुआ था। पंडित दीनदयाल जी को मैं श्रद्वाजंलि अर्पित करता हूँ। वे बहुआयामी प्रतिभाओं के धनी थे। उनमें शिक्षाविद्, राजनीतिज्ञ, प्रखर वक्ता, लेखक एवं पत्रकार की प्रतिभाएं कूट-कूट कर भरी हुई थीं। श्रेद्य पंडित जी ने विश्व में प्रचलित अनेक वादों के ऊपर एक नया वाद दिया। उन्होंने सर्वांगपूर्णवाद ‘‘एकात्ममानववाद‘‘ का सिद्वांत प्रतिपादित किया। यह व्यावहारिक और दार्शनिक सिद्वांत है। इसमे हम मानव को सम्पूर्णता और समग्रता में देख सकते हैं। राज्यपाल ने कहा कि दीनदयाल जी की प्रसिद्धि का एक कारण ओर भी रहा। जब उन्होंने एकात्ममानववाद की अवधारणा दी तो उस पर खूब चर्चा हुई। विश्वविद्यालयों में, बौद्धिक संस्थानों में यह गर्मागर्म बहस का विषय बना। सहमत होना या न होना अलग बात थी लेकिन एकात्ममानववाद की अवेहलना करना बौद्विक जगत के लिए मुश्किल था। दीनदयाल उपाध्याय ने मानव व्यवहार, व्यक्ति और समाज, मानव विकास के मौलिक प्रश्नों पर चिन्तन करके एकात्ममानववाद की अवधारणा स्थापित की थी। दरअसल मानव को लेकर विश्वभर के चिन्तकों में आदिकाल से चिन्तन होता रहा है। राज्यपाल ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्ममानववाद की अवधारणा स्थापित की। यह अवधारणा भारत के युगयुगीन सांस्कृतिक चिन्तन पर आधारित है। राज्यपाल ने कहा कि महान विचारक एवं युगपुरूष पं. दीनदयाल उपाध्याय ने अपनी जिदंगी लोगों की सेवा में समर्पित कर दी। पंडित जी के आदर्शों को आत्मसात कर समाज सेवा में सक्रिय भागीदारी निभा कर ही हम उन्हें सच्ची श्रद्वांजलि दे सकते हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ ईश्वर/संदीप-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in