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'कोरोना की जंग में आम आदमी की भूमिका' पर वेबीनार

बीकानेर, 18 मई (हि.स.)। कोरोना जैसी महामारी को जल्दी हराने के लिये हर एक नागरिक को अपना योगदान देना चाहिये, वो योगदान या भूमिका वो स्वयं तय करे। यह विचार लेखक व संस्कृतिकर्मी प्रहलाद ओझा 'भैरु' ने रमक झमक संस्था की ओर से आयोजित 'कोरोना की जंग में आम आदमी की भूमिका' विषयक वेब सेमिनार में आमंत्रित विचार सभा में व्यक्त किये। ओझा ने कहा कि ऐसे समय में सिर्फ सरकार प्रशासन या फ्रंट लाइन वर्कर पर भार छोड़कर कोरोना के खिलाफ लड़ाई को जल्दी नहीं जीता जा सकता। जरूरी है कि हर व्यक्ति चाहे वह कोई भी हो उसको स्वयं इसमें योगदान को लेकर अपनी भूमिका स्वयं तय कर स्वेच्छा से योगदान दे। कोलकाता से गौरीशंकर देराश्री ने कहा कि यह समय हमें अच्छी सीख भी दे रहा है कि विकास हो लेकिन प्रकृति से छेड़छाड़ न करें। इस समय यह संकल्प लेने का व संकल्प के लिये प्रेरित करने का सबसे अच्छा समय है कि हम पर्यावरण की सुरक्षा करेंगे। धार्मिक ग्रन्थों में प्रकृति की पूजा को अधिक महत्व दिया गया है। कोलकत्ता की भारती हर्ष ने कहा कि जो लोग इस समय किसी भी प्रकार की भी सेवा नहीं कर सकते वो अपने अपने शहर में सेवा करने वालों को फोन, पत्र या सोशल मीडिया में पोस्ट कर उनका धन्यवाद ज्ञापित जरूर करें इससे भी जोश जज्बा बढ़ेगा और सेवा की गति बढ़ेगी। जयपुर से वयोवृद्ध लेखिका गीता पुरोहित ने कहा कि घर की सभी गृहणियों को व बुजुर्गों को चाहिये कि उनके घर का कोई भी मेम्बर अनावश्यक बाहर न जाए और आस पास के पड़ौसी भी अगर बाहर निकलते है तो उन्हें रोके टोके व समझाए। वेब सेमिनार में दिल्ली की मोनिका शर्मा व बीकानेर से प्रदीप शर्मा का मत था कि आपदा में किसी को किया गया कोई भी दान या सहयोग का फल कई गुना होता है इसलिये तन, मन, धन या मोरल सपोर्ट कुछ न कुछ जरूर कीजिये और कोरोना काल में योगदान दीजिये। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप

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