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तीन संस्थान ऊंटों के बालों एवं प्राकृतिक रेशों के मूल्य संवर्धन के लिए करेंगे अनुसंधान

बीकानेर, 30 मार्च (हि.स.)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ आर्तबंधु साहू ने सीएसडब्लयुआरआई अविकानगर में त्रिपक्षीय समझौते (एमओयू) ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह त्रिपक्षीय एमओयू भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर, भाकृअनुप-राष्ट्रीय प्राकृतिक रेशा अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, कोलकाता एवं भाकृअनुप-केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसन्धान संस्थान, अविकानगर के तीनों संस्थानों के निदेशकों क्रमश: डॉ आर्तबंधु साहू, डॉ डी बी शाक्यवार एवं डॉ अरुण कुमार तोमर के मध्य किया गया। इस महत्वपूर्ण एमओयू पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए केन्द्र निदेशक डॉ साहू ने कहा कि तीनों संस्थान उष्ट्र सहित अन्य पशुओं व पौधों के संसाधनों से मिलने वाले प्राकृतिक रेशों की उपयोगिता तलाशने एवं इनके मूल्य संवर्धन हेतु समन्वित रुप से अनुसन्धान कार्यों को बढ़ावा देंगे। प्राकृतिक रेशों द्वारा निर्मित उत्पादों को मानव स्वास्थ्य के लिए हितैषी माना जाता है जबकि कृत्रिम उत्पाद त्वचा संबंधी विकार उत्पन्न करते हैं। उन्होंने कहा कि इसे एक सफल शुरूआत कही जा सकती है तथा तीनों संस्थान रेशों के सम्मिश्रण, उत्पाद बनाने, कृषि वस्त्र और केरातिन निष्कर्षण, नैनोपार्टिकल अनुप्रयोग, सम्मिश्रण और प्राकृतिक रेशों के मूल्यसंवर्धन के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त रूप से काम करेंगे साथ ही इससे वस्त्रों के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर कृषि-व्यवसाय विकास के तहत उद्यमिता विकास कार्यक्रम में सहयोग मिलेगा तथा रोजगार के अवसर खुलेंगे और पशुपालकों, किसानों एवं हित-धारकों को लाभ मिल सकेगा। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/ ईश्वर

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