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केंद्र सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन में घोटाले के आरोपों की अविलंब जांच कराए- मुख्यमंत्री गहलोत

जयपुर, 14 जून(हि.स.)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई जमीनों में घोटाले के आरोपों की अविलंब जांच की मांग करते हुए कहा है कि इससे लोगों में आस्था एवं विश्वास बना रहेगा एवं देशवासियों की आस्था के साथ खिलवाड़ के दोषियों को सजा मिल सकेगी। मुख्यमंत्री गहलोत ने सोमवार देर शाम ट्वीट करते हुए कहा कि राजस्थान की जनता ने आस्था के साथ राम मंदिर निर्माण में देशभर में सर्वाधिक योगदान दिया था, लेकिन निर्माण कार्य की शुरुआत में ही चन्दे के गबन से संबंधित खबरों से आमजन की आस्था डिग गई है। कोई विश्वास नहीं कर पा रहा है कि मिनटों में कैसे जमीन का दाम 2 करोड़ रुपये से 18 करोड़ रुपये हो गया। उन्होंनेे कहा कि प्रदेश के बंशी पहाड़पुर से अवैध खनन कर गुलाबी पत्थर राम मन्दिर के लिए भेजा जा रहा था। हमने प्रयास किया कि इस पावन कार्य में अवैध तरीके से निकाला गया पत्थर ना जाए इसलिए हमने प्रयास कर यहां हो रहे पत्थर खनन के कार्य को भारत सरकार से लीगल तरीके से वैधता दिलवाई जिसका हमें संतोष है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस पावन कार्य में मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट द्वारा ही आर्थिक हेर-फेर की अनैतिक गतिविधियां करने से देशभर के श्रद्धालु बेहद आहत हैं। कोई सोच नहीं सकता था कि मन्दिर निर्माण जैसे पवित्र काम में भी लोग घोटाले करने लगेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार को अविलंब इस मामले की जांच करवानी चाहिए, जिससे लोगों की आस्था एवं विश्वास बना रहे एवं देशवासियों की आस्था के साथ खिलवाड़ के दोषियों को सजा मिल सके। इससे पूर्व राम मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई जमीनों में घोटाले के आरोपों को नकारते हुए ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने आरोपों को राजनीतिक साजिश बताया है। चंपत राय ने सोमवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि मंदिर के लिए खरीदी जा रही जमीनें बाजार से बहुत कम रेट पर ली जा रही हैं। अब तक मंदिर के लिए खर्च हुए एक-एक पैसे का हिसाब रिकॉर्ड पर है। ट्रस्ट का कहना है कि सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने करीब 10 साल पहले ही बाग बिजेसर की जमीन कुसुम पाठक और हरीश पाठक से खरीद ली थी। तब के हिसाब से इसका रेट दो करोड़ तय कर लिया था। इसकी रजिस्ट्री भी करा ली थी। जब मंदिर ने इस जमीन को खरीदने की इच्छा जताई तो सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने पाठक परिवार से इस जमीन का बैनामा तय रेट पर 18 मार्च 2021 को कराया, फिर उसे आज की रेट के हिसाब से मंदिर ट्रस्ट को बेचा। इसमें कहीं से भी कोई घोटाला और हेराफेरी नहीं है। ये केवल राम भक्तों को गुमराह करने के लिए साजिश है। हिंदुस्थान समाचार/संदीप/ईश्वर

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