संजीवन सोसायटी प्रकरण: गजेन्द्र सिंह के खिलाफ जांच के आदेश
जयपुर,23 जुलाई (हि.स.)। अतिरिक्त जिला न्यायालय क्रम-8 ने संजीवनी क्रेडिट सोसायटी के संचालकों की ओर से किए गए करोडों रुपये की धोखाधडी के मामले में गजेन्द्र सिंह सहित अन्य के खिलाफ पेश प्रार्थना पत्र को पूर्व में दर्ज एफआईआर में जांच के लिए एसओजी में भेज दिया है। अदालत ने यह आदेश गुमान सिंह व अन्य की ओर से पेश रिविजन अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिए। परिवादी के वकील अजय कुमार जैन ने दावा किया है कि प्रकरण में शामिल व्यक्ति केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह ही हैं। रिविजन अर्जी में कहा गया कि उसने और उसकी पत्नी ने सोसायटी में लाखों रुपये का निवेश किया था। प्रकरण में एसओजी में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद जांच एजेन्सी ने सोसायटी के कर्ताधर्ता विक्रम सिंह को गिरफ्तार किया। वहीं नवप्रभा बिल्टेक प्राइवेट लिमिटेड, ल्यूसिड फार्मा प्राइवेट लिमिटेड. जनक कन्स्ट्रक्शन और अरिहंत ट्रियेटर प्राइवेट लिमिटेड. और इनके कर्ताधर्ता नवनंद कंवर, मोहन कंवर, राजेन्द्र बाहेती, केवलचंद डगलिया और गजेन्द्र सिंह को न तो गिरफ्तार किया और ना ही उनकी संपत्ति को जब्त किया। अर्जी में कहा गया कि मामले में पेश आरोप पत्र में एसओजी मान चुकी है कि गजेन्द्र सिंह शेखावत के पार्टनरशिप की कंपनी ने विक्रम सिंह और उसकी पत्नी को शेयर हस्तान्तरित किए थे। इसके लिए विक्रम सिंह ने संजीवनी क्रेडिट सोसायटी के निवेशकों का धन काम में लिया था। इस कंपनी की एक सहायक कंपनी गेलब एग्रो इन्डस्ट्री इथोपिया, अफ्रीका में पंजीकृत है। जहां कंपनी के नाम ढाई हजार एकड भूमि है। इसके शेयरों का हस्तान्तरण में काम आई राशि विक्रम सिंह और उसकी पत्नी ने संजीवनी क्रेडिट सोसायटी से लोन लेकर उपलब्ध कराई गई है। हिन्दुस्थान समाचार/पारीक/संदीप-hindusthansamachar.in