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नवीन तकनीकों के प्रयोग से आगे बढ़ेगी संस्कृत

जयपुर,17 मार्च(हि.स.)। जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में बुधवार को संस्कृत भाषा में निहित ज्ञान- विज्ञान पर हो रहे अनुसंधान की दशा और दिशा पर व्याख्यान हुआ। राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति के पूर्व कुलपति प्रो. हरेकृष्ण शतपथी ने कहा कि संस्कृत के विकास के लिए इसके अध्ययन व अध्यापन में नवीन तकनीकों का प्रयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि योग, आयुर्वेद और ज्योतिष सहित साहित्य व भाषा के क्षेत्र में ऐसे प्रयोगों की आवश्यकता है ताकि लोग संस्कृत की ओर आकर्षित हों और इससे जुड़ें। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. अनुला मौर्य ने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय में शोध को पर्याप्त महत्व दिया जा रहा है। विश्वविद्यालय ने इस बार से डीलिट की उपाधि के लिए शोधार्थियों से आवेदन मांग रहा है। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में शोध को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक पद्धतियां अपनाने की योजना बनाई जा रही है। इस अवसर पर अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. माताप्रसाद शर्मा ने संस्कृत में हो रहे नवीन शोध की जानकारी दी। संयोजक डॉ. राजधर मिश्र ने बताया कि कार्यक्रम में गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग के प्रो. रमेश भारद्वाज का विशिष्ट व्याख्यान होगा। हिन्दुस्थान समाचार/ ईश्वर/संदीप

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