
जयपुर, (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में सांसदों की एंटी इनकम्बेंसी को दूर करने के लिए उन्हें विधायक प्रत्याशी के तौर पर मैदान में तो उतार दिया, लेकिन अब इन सांसदों के विधायक बनने पर भी संकट मंडरा रहा है। भाजपा की ओर से घोषित 41 उम्मीदवारों की पहली सूची में शामिल सात में से छह सांसद ऐसे हैं, जिनका विरोध कम नहीं हो रहा है। अब शनिवार को जारी 83 उम्मीदवारों की दूसरी सूची में भाजपा ने सांसदों को विधायकी की राह पकड़ाने में परहेज किया है।
क्या है भाजपा की सांसदों को मैदान में उतारने की रणनीती?
असल में, बीजेपी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी पहली प्रत्याशियों की सूची में सात सांसदों को मैदान में उतार कर एक साथ दो निशाने साधने की कोशिश की। पहला 2024 में सांसदों की एंटी इनकम्बेंसी से बचने के लिए चेहरे बदलने की तैयारी तो वहीं दूसरी ओर कमजोर सीटों पर सांसदों को उतार कर जीत को आसान बनाना, लेकिन पार्टी की यही रणनीति उल्टी पड़ गई। सात सांसदों में से छह सांसदों का विरोध खुले तौर पर दिख रहा है। अपनी ही पार्टी में पैराशूट उम्मीदवारों के नाम पर हो रहे विरोध के बीच अब विधायकी पर खतरा मंडराने लगा है। बीजेपी ने अपनी पहली प्रत्याशियों की सूची में 41 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही नाराजगी भी खुलकर सामने आ गई, जिसने पार्टी की चिंता बढ़ा दी।
भाजपा ने सात सांसदों को मैदान में उतारा
भाजपा ने इस बार नया प्रयोग करते हुए पहली सूची में सात सांसदों को मैदान में उतारा, लेकिन सात सांसदों में से छह सांसदों का विरोध पहले दिन से जो शुरू हुआ वह अभी भी बरकरार है। वैसे तो भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची जारी हुए लगभग दो सप्ताह होने वाले हैं, लेकिन दावेदार और उनके समर्थकों का विरोध जारी है। कुल 41 में से 15 से ज्यादा सीट पर कंट्रोल नहीं हो पाया है। कई जगह मंडल अध्यक्षों ने त्याग पत्र दे दिया है तो काफी समर्थकों ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की चेतावनी दे दी। लगातार हो रहे विरोध को देखते हुए बीजेपी ने 83 उम्मीदवारों की दूसरी सूची में अपनी रणनीति में बदलाव किया और सांसदों को चुनाव लड़वाने से परहेज कर लिया। दूसरी सूची में सिर्फ विधायकों और जिताऊ दावेदारों की सूची जारी करने पर सहमति बनी है।
अलवर सांसद बालकनाथ का हो रहा विरोध
पहली सूची में अलवर सांसद बालकनाथ का विरोध इस कदर है कि वहां से अपनों ने ही चुनाव लड़ने की दावेदारी कर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है। झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में सांसद राज्यवर्धन राठौड़ को टिकट के बाद पूर्व मंत्री राजपाल शेखावत के सर्मथक लगातार सक्रिय हैं। काले झंडे दिखा प्रदर्शन कर भाजपा को परेशानी में डाल रहे हैं। विद्याधर नगर से सांसद दीया कुमारी को टिकट मिलने के बाद से ही भैरोंसिंह शेखावत के दामाद और विद्याधर नगर से भाजपा के मौजूदा विधायक नरपत सिंह राजवी टिकट कटने से नाराज होकर बयानबाजी कर रहे थे, बाद में उन्हें वरिष्ठ नेताओं ने शांत कराया। किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र में अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी प्रत्याशी हैं। यहां वर्ष 2018 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और हारने वाले विकास चौधरी चुनाव लड़ने की चेतावनी दे चुके हैं। वे लगातार दौरे कर रहे हैं। सांचौर से सांसद देवजी पटेल को मैदान में उतारा तो वहां से स्थानीय दावेदार के समर्थन में पार्टी मुख्यालय तक विरोध हुआ। मंडावा सीट से नरेंद्र कुमार को टिकट देने पर विरोध थम नहीं रहा है।
अन्य खबरों के लिए क्लिक करें :- www.raftaar.in