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राज्य की इंजीनियरिंग शिक्षा में क्वालिटी इम्प्रूवमेंट की कार्ययोजना नहीं

कोटा, 09 अप्रैल (हि.स.)। राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में क्वालिटी इम्प्रूवमेंट करने के लिए राज्य सरकार प्रभावी कार्ययोजना लागू नही कर पा रही है, जिससे प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेज बन्द होते जा रहे हैं। देश के सभी राज्यों में उच्च तकनीकी संस्थानों में गुणवत्ता सुधारने के लिए वर्ष 2017 में केंद्र व राज्य सरकार ने टेक्यूप-3 (तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम) प्रोजेक्ट पर एमओयू किया था। जिसके तहत राज्य के 11 इंजीनियरिंग कॉलेजों में अनुबंध के आधार पर 328 असिस्टेंट प्रोफेसर लगाए गए थे। जिसमे से 250 फेकल्टी आज भी कार्यरत हैं। इन असिस्टेंट प्रोफेसर्स को मूल्यांकन के आधार पर नियमित किया जाना था। लेकिन राज्य सरकार द्वारा टेक्यूप-3 प्रोजेक्ट में खास रुचि नही दिखाई। यह प्रोजेक्ट 31 मार्च 2020 में समाप्त होना था, लेकिन राज्य सरकार द्वारा सस्टेनेबिलिटी प्रारूप के अभाव में इसका कार्यकाल बढ़ाकर 31 मार्च 2021 कर दिया गया। तकनीकी संस्थानो में एनबीए अधिस्वीकरण देखते हुए परियोजना अवधि को 6 माह आगे बढाकर 30 सितंबर कर दिया गया है। गौरतलब है कि पिछले 10 वर्षों से राजस्थान में इंजीनियरिंग शिक्षा गिरावट के दौर से गुजर रही है। जिससे अन्य राज्यो की तुलना में राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या में उत्तरोत्तर कमी आ रही है। इस कारण बड़ी संख्या में स्व वित्त पोषित अभियांत्रिकी महाविद्यालयो में आर्थिक संकट के साथ शिक्षा व शोध के स्तर में भी गिरावट हुई। प्रवेशित छात्रों की संख्या घटने का मुख्य कारण योग्य शिक्षकों और रोजगार के अवसरों की कमी है। गत 3 वर्षों में टेक्यूप-3 प्रोजेक्ट के अंतर्गत कार्यरत सहायक आचार्यों की निरन्तर अनदेखी की जा रही है। 20 हजार विद्यार्थी प्रभावित होंगे- यदि राज्य सरकार ने अनुबंध पर चल रहे शिक्षकों को नियमिय नही किया तो राज्य के 11 इंजीनियरिंग कॉलेजों के 20 हजार से अधिक विद्यार्थी प्रभावित होंगे। इस प्रोजेक्ट में यूसीई आरटीयू कोटा, यूसीईटी बीटीयू बीकानेर, अभियांत्रिकी महाविद्यालय झालावाड़, बांसवाड़ा, अजमेर, भरतपुर, बीकानेर, महिला महाविद्यालय अजमेर व एमबीएम अभियांत्रिकी महाविद्यालय जोधपुर में कार्यरत 250 असिस्टेन्ट प्रोफेसर्स का अनुबंध केंद्र सरकार की राष्ट्रीय परियोजना (एनपीआईयू) से 30 सितंबर 2021 को समाप्त हो जाएगा। उसके बाद कॉलेज फिर से शिक्षकों की कमी से जूझते रहेंगे। वर्तमान में राज्य के तकनीकी संस्थानों में 60 फीसदी से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। हिन्दुस्थान समाचार/अरविंद/ ईश्वर

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