राजस्थान के आसामान में फिर मंडरा रहा खतरा, हजारों किसानों के माथे पर उभरी चिंता की लकीर

Rajashthan News: सीमावर्ती जैसलमेर जिले के नहरी बेल्ट में टिड्डियों का प्रकोप नजर आ रहा है। फसलों पर टिड्डियों के एक बार फिर हमले की आशंका से किसान चिंतित नजर आ रहे हैं।
राजस्थान में टिड्डियों का प्रकोप, किसानों को फसलों की चिंता
राजस्थान में टिड्डियों का प्रकोप, किसानों को फसलों की चिंता

जैसलमेर, हि.स.। सीमावर्ती जैसलमेर जिले के नहरी बेल्ट में टिड्डियों का प्रकोप नजर आ रहा है। फसलों पर टिड्डियों के एक बार फिर हमले की आशंका से किसान चिंतित नजर आ रहे हैं। हालांकि दृष्टिगोचर हुआ टिड्डी दल अभी अपने प्रजनन काल की प्रारंभिक अवस्था में है। टिड्डियों के नियंत्रण के लिए संबंधित विभाग अपनी हर संभव कोशिश में लगा हुआ है। टिड्डी प्रभावित इलाकों में किसानों की सूचना मिलते ही सीमित संसाधन व सीमित स्टॉफ के द्वारा टिड्डी नियंत्रण का दावा किया जा रहा है।

टिड्डियों के हमले के खतरे का सामना कर रहे

राज्य टिड्डी नियंत्रण विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान और गुजरात के सीमावर्ती जिले दो साल के अंतराल के बाद टिड्डियों के हमले के खतरे का सामना कर रहे हैं। मामले के जानकार अधिकारियों के अनुसार इससे पहले 2021 में पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर और जालौर जिले में पिछले दो दशकों में टिड्डियों का अब तक का सबसे बड़ा हमला देखा गया था। वर्तमान की स्थिति को देखते हुए टिड्डी नियंत्रण विभाग ने टिड्डियों के हमले की आशंका वाले क्षेत्रों में अलर्ट जारी कर दिया है।

भारत-पाकिस्तान सीमा से लगे जिलों में किया संयुक्त टिड्डी सर्वेक्षण

जोधपुर में टिड्डी नियंत्रण विभाग के प्रभारी डॉ वीरेंद्र कुमार ने कहा कि विभाग ने सीमा सुरक्षा बल के साथ मिलकर भारत-पाकिस्तान सीमा से लगे जिलों में संयुक्त टिड्डी सर्वेक्षण किया। डॉ. कुमार के अनुसार हाल में जुलाई के मध्य में किए गए सर्वेक्षण के दौरान, राजस्थान के बीकानेर, जैसलमेर जिले में टिड्डियों की प्रारंभिक गतिविधि देखी गई थी। इसके बाद हमने टिड्डियों के हमले की आशंका वाले क्षेत्रों में अलर्ट जारी किया।

155 स्थानों पर किया गया सर्वेक्षण

डॉ. कुमार ने कहा कि टिड्डियों की मौजूदगी या प्रजनन पर नजर रखने के लिए राजस्थान और गुजरात की भारत-पाक सीमा से सटे इलाकों में नियमित सर्वेक्षण किए जा रहे हैं। इस बार इन क्षेत्रों में कम से कम 155 स्थानों पर सर्वेक्षण किया गया। उन्होंने बताया कि जून-जुलाई में बारिश के बाद ही रेगिस्तानी इलाकों में टिड्डियों के हमले का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि बिपोरजॉय चक्रवात के प्रभाव के कारण इस बार पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर, जालौर और आसपास के इलाकों में भारी बारिश हुई है। ऐसे में वनस्पति और जमीन में नमी तेजी से बढ़ती है। ऐसा वातावरण टिड्डियों के प्रजनन के लिए पूरी तरह से अनुकूल है।

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