need-to-bridge-the-gap-of-tribal-non-tribal--governor
need-to-bridge-the-gap-of-tribal-non-tribal--governor

आदिवासी-गैर आदिवासी की खाई को पाटने की जरूरत- राज्यपाल

जयपुर, 26 फरवरी(हि.स.)। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि आदिवासी और गैर आदिवासी के बीच पनपी भेद की खाई को मिलकर पाटने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिए आदिवासी समाज को उनकी भाषा, संस्कृति, परम्पराओं और विशिष्टताओं को बचाए रखते हुए विकास की मुख्य धारा में जोड़ना होगा। राज्यपाल मिश्र शुक्रवार को यहां राजभवन में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा आयोजित ‘वागड़ अंचल का लोक साहित्य एवं संस्कृति’ विषय पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन एवं विश्वविद्यालय परिसर के 6 भवनों के शिलान्यास समारोह को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान है, जिसे सहेजा जाना बहुत जरूरी है। राज्यपाल मिश्र ने कहा कि वागड़ अंचल का जनजाति क्षेत्र औषधीय, वनस्पति और जैविक संपदा के लिए देशभर में अपनी पहचान रखता है। यहां की प्रकृति पूजा और औषधि विज्ञान की जनजातीय समाज की मौखिक रूप में संरक्षित परम्पराओं को सहजने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा पाठ्यक्रम लागू करने की पहल सराहनीय है। राज्यपाल मिश्र ने सुझाव दिया कि आदिवासी क्षेत्र के युवाओं के माध्यम से इस समुदाय के रीति-रिवाज, उत्सव, परम्पराओं, लोक कथाओं और लोकगीतों सहित उपलब्ध ज्ञान को एकत्रित कर इसका डिजिटलाईजेशन किया जाना चाहिए ताकि भावी पीढ़़ी भी इससे रूबरू हो सके। विधानसभाा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित बोलियां ना सिर्फ सदियों से संचार का माध्यम रही हैं बल्कि स्थानीय ज्ञान-विज्ञान, कला-संस्कृति और लोक परम्पराओं की वाहक भी हैं। उन्होंने कहा कि इस रूप में वागड़ अंचल की वाचिक परम्परा को सहेजने की यह पहल यहां की लोक संस्कृति को अक्षुण्ण रखने की दिशा में दूरगामी साबित होगी। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों का अनुभवजन्य प्राकृतिक ज्ञान उनकी अनूठी विरासत है। प्रकृति से इस निकटता के कारण ही इन क्षेत्रों के निवासियों पर कोविड-19 महामारी का प्रभाव भी अपेक्षाकृत कम देखने को मिला। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के कुलपति प्रो. बी.पी.शर्मा ने कहा कि जनजातीय क्षेत्र की परम्पराओं में उन्नत विज्ञान के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के भाव परिलक्षित होते हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी वाचिक परम्परा पर अनुसंधान कर इसे लिपिबद्ध करने की आवश्यकता है। राज्यपाल मिश्र ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर, जनजाति फैमिली हॉस्टल, वाणिज्य महाविद्यालय के पुस्तकालय एवं सेमिनार हॉल के भवनों, कर्मचारी भवन, मेवाड़ पीठ भवन का शिलान्यास किया। उन्होंने वागड़ क्षेत्र के लोक एवं आदिवासी साहित्य, परम्पराओं और संस्कृति से जुड़े़े महत्वपूर्ण पहलुओं को सम्मिलित करते हुए तैयार ई-पुस्तक ‘फोकलोर ऑफ वागड़’ का विमोचन भी किया। हिंदुस्तान समाचार/संदीप/ ईश्वर

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in