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नहीं रहे उर्दू, फारसी व हिन्दी के सशक्त हस्ताक्षर मुश्ताक अहमद

जयपुर, 09 फरवरी (हि. स.)। उर्दू, फारसी और हिन्दी के विद्वान तथा आकाशवाणी जयपुर के पूर्व वरिष्ठ निदेशक मुश्ताक अहमद राकेश का मंगलवार को निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे। झुंझनूं जिले के मुकन्दगढ़ में आफरीदी पठान परिवार में जन्मे विद्वान मुश्ताक अहमद राकेश ने फारसी, उर्दू और हिन्दी में सृजन किया और सरमद शहीद: हयात ओ रूबाइयात का फारसी, उर्दू, हिन्दी में तथा रूबाइयात-ए-उमर खय्याम का हिन्दी में अनुवाद किया, जिसका प्राकृत भारती अकादमी ने प्रकाशन किया। स्वर्गीय राकेश जो पिछले बीस वर्षों से प्राकृत भारती संस्थान से जुड़े हुए थे। वे मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के प्रेस सलाहकार और यू.एस.एड के परामर्शदाता भी रहे। प्राकृत भारती ने उनकी कृतियां अखलाक-ए-मुहसिनी का फारसी, उर्दू और हिन्दी में अनुवाद कर प्रकाशन किया। इसके अलावा औरंगजेब, नैतिक कहानियां और भगवान महावीर पर उनकी पुस्तक भगवान महावीर का बुनियादी फिक्र उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें हैं। वे स्नातकोत्तर, विधि स्नातक और साहित्यरत्न थे। उन्हें फारसी, उर्दू और हिन्दी का विद्वान माना जाता है। प्राकृत भारती अकादमी के संस्थापक और मुख्य संरक्षक डी. आर. मेहता ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मुश्ताक अहमद राकेश फारसी, उर्दू और हिन्दी के अद्भुत विद्वान थे। उन्होंने भाषाओं के अपने ज्ञान का उपयोग एक लेखक के रूप में किया। मेहता ने बताया कि 1922 में उर्दू में जैमिनी मेहता द्वारा औरंगजेब पर उर्दू में लिखी पुस्तक का उन्होंने गहन अध्ययन और अनुसंधान किया और अपनी टिप्पणियों सहित उसका हिन्दी में अनुवाद किया। यह पुस्तक औरंगजेब के जीवन की सच्चाईयों को उजागर करती है और इस कारण यह पुस्तक बड़ी लोकप्रिय सिद्ध हुई। औरंगजेब पर उनकी पुस्तक का प्रकाशन प्राकृत भारती ने इसलिए किया क्योंकि औरंगजेब के बारे में यह प्रचलित था कि वह दूसरे धर्म के बारे में असहिष्णु थे। लेकिन राकेश ने ऐतिहासिक दस्तावेज से अपनी पुस्तक से यह सिद्ध किया कि औरंगजेब सभी धर्मों का सम्मान करते थे। राजस्थान साहित्य अकादमी ने उन्हें अमृत सम्मान से सम्मानित किया था। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप-hindusthansamachar.in

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