किसानों के मसले पर संवेदनहीन है मोदी सरकार : पायलट

Modi government is insensitive on the issue of farmers: Pilot
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जयपुर, 11 जनवरी (हि. स.)। पूर्व उप मुख्यमंत्री व टोंक विधायक सचिन पायलट ने सोमवार को कृषि बिलों को लेकर मोदी सरकार को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय कृषि बिलों के खिलाफ दिल्ली के चारों तरफ विरोध जता रहे किसानों का आंदोलन पूरे देश में राष्ट्रव्यापी मुद्दा बन गया हैं, बावजूद इसके केन्द्र सरकार आंदोलन का निस्तारण करने की बजाय किसानों को तारीख पर तारीख दे रही है। यह मोदी सरकार की संवेदनहीनता का परिचायक है। पायलट सोमवार को दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक में जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे। पायलट ने कहा कि मोदी सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानून किसानों के लिए घातक है। इससे छोटे किसानों को नुकसान ही होगा। समर्थन मूल्य खत्म हो गया तो फसल का दाम उद्योगपति निर्धारित करेंगे। सरकार जब समर्थन मूल्य देना बंद कर देगी तब दो चार उद्योगपति फसल का दाम तय करेंगे। किसान को मजबूरन उस दाम पर अपनी फसल बेचनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान समेत देशभर में किसान लगभग डेढ़ महीने से आंदोलनरत हैं। इसकी पूरे देश में चर्चा हो रही है। मुद्दा बड़ा स्पष्ट है, सरल है। फिर भी केन्द्र सरकार इसका समाधान नहीं निकाल पा रही है। सत्तर सालों से किसानों को दी गई छूट मोदी सरकार ने बदलकर अब बहुराष्ट्रीय कंपनियों को, बड़े-बड़े उद्योगपतियों को दे दी है। इसमें समर्थन मूल्य का कोई जिक्र नहीं है और देश में मंडी सिस्टम कायम था, केंद्र सरकार उसे खत्म करने का लगभग मन बना चुकी है। पायलट ने कहा कि किसानों को लेकर ऐसा पहली बार हुआ है जब 24 अलग-अलग विपक्षी दल एकजुट होकर यह मांग रख रहे है कि सरकार ने जो तीन कानून बनाए हैं, उन्हें वापस लें। क्योंकि किसी भी कानून को बनाने से पहले ना तो किसान से चर्चा की गई हैं और न ही किसी राज्य सरकार से विमर्श किया गया है। जबरदस्ती व जल्दबाजी में संसद से उन विधेयकों को पारित कर कर उन्हें लागू कर दिया। लगभग 50 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या कर ली है, उनकी जानें चली गई है। ठण्ड के मौसम में किसान लगातार बैठे है। पायलट ने कहा कि अगर कृषि बिल किसानों के हित में होते तो क्यों एनडीए से उसके सहयोगी दल अलग होते और क्यों सरकार के अपने मंत्री इस्तीफा दे रहे है। पूरे हिंदुस्तान और विश्वभर में इसकी आलोचना हो रही है। कांग्रेस पार्टी का निवेदन बस इतना है कि कृपा कर इन तीनो कानूनों को वापस ले लें। किसानों से चर्चा करे और जो समर्थन मूल्य 1947 से लेकर आजतक सरकार देती है, उसे लिखित में दे। उन्होंने कहा कि देश की दो तिहाई जनता कृषि पर निर्भर है। इसमें सिर्फ खेती करने वाले किसान ही शामिल नहीं है, मजदूर, हमाल, तोलने वाला, मंडी में काम करने वाले लोग, दुकान पर काम करने वाले लोगों का पूरा परिवार इससे प्रभावित होते हैं। हम तो यह कहते है कि हर 6-10 किलोमीटर पर मंडी होनी चाहिए, ताकि किसान अपना अनाज बेच सके। जबकि, इनका तर्क है कि जो चार बोरी अनाज पैदा करेगा, वह चार बोरी लेकर मुम्बई जाएगा, कोलकात्ता जाएगा या चंडीगढ़ जाएगा। वहां खरीदने वाले ने अगर खरीद के पैसे नहीं दिए तो उसे फिर एसडीएम के पास आना पड़ेगा और कलक्टर के पास जाना पड़ेगा। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप-hindusthansamachar.in

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