Karanpur Results: राजस्थान की भजनलाल सरकार को लगा बड़ा झटका, मंत्री सुरेंद्र सिंह को रुपिंदर सिंह ने हराया

Karanpur Election Results: श्रीगंगानगर जिले के करणपुर विधानसभा उपचुनाव में BJP के प्रत्याशी मंत्री सुरेंद्र सिंह को कांग्रेस प्रत्याशी रुपिंदर सिंह ने 12 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया है।
Minister Surendra Singh, Rupinder Singh
Minister Surendra Singh, Rupinder SinghRaftaar

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। राजस्थान की भजनलाल सरकार को साल के शुरूआत में एक बड़ा झटका लगा है। राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के करणपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को कांग्रेस प्रत्याशी रुपिंदर सिंह ने 12 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया है। कांग्रेस प्रत्याशी की ईस जीत को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के नेताओं ने उम्मीदवार को बधाई दी है। आपको बता दें कि भाजपा के प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह को भजनलाल सरकार ने कुछ दिनों पहले मंत्री बनाया था।

12 हजार से ज्यादा वोटों से हारे भाजपा उम्मीदवार

गौरतलब है कि श्रीगंगानगर जिले में कुल 6 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 5 पर चुनाव के नतीजें 3 दिसंबर को ही आ चुके हैं। यहां 2 सीटों पर बीजेपी ने और 3 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया था। इसी में से एक करणपुर विधानसभा सीट के लिए शुक्रवार (5 जनवरी) को मतदान हुआ था, जिसमें 81.38 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसके बाद डॉ. भीमराव अंबेडकर सरकारी कॉलेज में 17 काउंटरों पर इसकी गिनती हुई। जिसमें कूनर को 58964 वोट मिले जबकि भाजपा उम्मीदवार सुरेंद्र पाल सिंह को 11वें राउंड के बाद 51944 वोट मिले थे। इसके साथ कांग्रेस प्रत्याशी रुपिंदर सिंह ने भाजपा उम्मीदवार सुरेंद्र पाल सिंह को 12 हजार से ज्यादा वोटों से मात दे दी।

क्यों हुआ इस सीट पर चुनाव?

दरअसल, राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार और तत्कालीन विधायक गुरमीत सिंह कूनर की मृत्यु के कारण इस सीट पर चुनाव स्थगित कर दिया गया था। जिसके बाद कूनर के बेटे रूपिंदर सिंह को कांग्रेस ने इस सीट से मैदान में उतारा। और वहीं भाजपा ने इस सीट पर 10 दिन पहले भजनलाल सरकार में मंत्री बने सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को आपना प्रत्याशी बनाया था। भाजपा द्वारा विधानसभा चुनाव में 199 में से 115 सीटें जीतने के बाद सुरेंद्र पाल सिंह को राजस्थान मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। कांग्रेस ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की आलोचना करते हुए इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताया था।

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