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जेआईपीएल फेस्ट 2021 का रविन्द्र मंच पर हुआ आगाज: कवि सम्मेलन में कवियों ने दी प्रस्तुतियां

जयपुर, 27 फरवरी (हि.स.)। जयपुर इंटरनेशनल पोएट्री लाइब्रेरी की ओर से दो दिवसीय साहित्य उत्सव जेआईपीएल फेस्ट 2021 रविंद्र मंच पर शनिवार को प्रारंभ हुआ। इसमे विभिन्न सत्रों में साहित्य-सिनेमा सहित अन्य विषयों पर संवाद किया गया। वक्ताओं ने साहित्य और सिनेमा के माध्यम से समाज और विश्व कैसे बेहतर हो इस पर अपने विचार पेश किए। शाम को काव्य सम्मेलन में कवियों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। साथ ही फिल्म निर्माण के गुर भी युवाओं को बताए गए। जेआईपीलए फेस्ट का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रदीप बाहेती, अध्यक्ष लोकेश कुमार साहिल, सवाई सिंह शेखावत, प्रवीण नाहटा, दुर्गाप्रसाद अग्रवाल, प्रबोध कुमार गोविल, जे.एस. माहेश्वरी, अखिलेश तिवारी ने मां सरस्वती के चित्र के आगे दीप प्रज्वलित कर किया। फेस्ट के संस्थापक राहुल चौधरी ने अतिथियों का स्वागत कर बताया कि यह फेस्ट का दूसरा संस्करण है। इसके माध्यम से साहित्य-सिनेमा पर सार्थक संवाद कर युवाओं को अधिक से अधिक जानकारी देने का लक्ष्य है। मुख्य समन्वयक अनुराग सोनी ने फेस्ट की जानकारी देते हुए कहा कि दो दिवसीय इस आयोजन में साहित्य और सिनेमा की कई विधाओं पर चर्चा की जाएगी। साथ ही नई पीढ़ी का ज्ञान बढे़ यह भी प्रयास है। प्रथम उद्घाटन सत्र में चर्चा करते हुए सवाईसिंह शेखावत ने कहा कि साहित्य वह है जो संस्कार दे और मति को परिष्कृत करे। कोई भी समाज साहित्य और कलाओं के बिना आगे नहीं बढ़ सकता है। साहित्यकार दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने कहा कि दूसरों की पीड़ा को समझता है वो इंसान होता है। साहित्य, कला, संस्कृति को समझने वाला भी बेहतर मनुष्य होता है। प्रबोध कुमार गोविल ने कहा कि कला हमारे जीवन को संवार देती है। स्त्री विमर्श सत्र में सुजाता, कविता माथुर, रेशमा खान, मनीषा कुलश्रेष्ठ ने भाग लिया और संचालन शिवानी शर्मा ने किया। इसमे स्त्री लेखन के साथ साथ ही जमीन पर भी काम करने जरूरत बताई गई जिन महिलाओं के लिए लिखा जा रहा है वह महिलाएं भी उस लेखन से परिचित हो और आगे बढे़। उसने गांधी को क्यों मारा विषय पर आयोजित सत्र में पुस्तक के लेखक अशोक कुमार पांडे से तसनीम खान ने चर्चा की। इस सत्र में लेखक पांडे ने कहा कि मोरारजी देसाई गांधी हत्या के मामले में गवाह थे लेकिन उन्होंने अपना कर्तव्य सही ढंग से नहीं निभाया। वहीं सावरकर को अदालत ने साक्ष्य नहीं मिलने के कारण बरी किया था। बाद में कपूर आयोग ने सावरकर को दोषी माना लेकिन उसके दो साल पहले ही सावरकर की मौत हो चुकी थी। इसलिए उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सका। किताबों की बातें में सुनील प्रसाद शर्मा की पुस्तक 'लॉकडाउन रोजनामचा: मौत मिले पर माटी में ' पर अनुराग सोनी ने चर्चा की। इस पुस्तक में लेखक ने कोरोना के दौरान रियल और अनसीन हीरो के पात्रों को घड़ते हुए लॉकडाउन के समय की मार्मिक घटनाओं को प्रस्तुत किया है और बेबाकी से सिस्टम और समाज से सवाल किया है। इस सत्र में नलित जोशी ने भी भाग लिया। सेशन का संचालन शैलेष सोनी ने किया। इनके साथ ही पत्रकारिता और समाज में हिमांशु व्यास, तबीनाह अंजुम, चंद्रशेखर हाड़ा, पुरूषोत्तम दिवाकर ने भाग लिया और संचालन अमित कल्ला ने किया। अभिव्यक्ति की आजादी: मेरी या सबकी में भंवर मेघवंशी, डॉ. राजेश मेठी, प्रवीण नाहटा ने भाग लिया। संचालन कविता माथुर ने किया। राजस्थानी फिल्म चिड़ी बल्ला के निर्माता राधेश्याम पीपलावा ने कहा कि हमारी मायड़ भाषा उपेक्षित है। साथ ही पीपलावा ने कार्यशाला में युवाओं को फिल्म निर्माण के गुर बताए। हिन्दुस्थान समाचार/दिनेश /संदीप

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