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वल्लभनगर सीट पर दमखम से उतरेगी जनता सेना - भीण्डर

उदयपुर, 20 फरवरी (हि.स.)। उदयपुर जिले की वल्लभनगर विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव में जनता सेना पूरे दमखम के साथ उतरेगी। साथ ही, जनता सेना पूरे प्रदेश में संगठन का विस्तार करेगी। हालांकि, प्रत्याशी का नाम दोनों राष्ट्रीय दलों कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशियों के प्रत्याशियों को ध्यान में रखकर तय किया जाएगा। भीण्डर नगरपालिका में अपना परचम फैलाने से आत्मविश्वास से लबरेज जनता सेना के सुप्रीमो रणधीरसिंह भीण्डर ने शनिवार को उदयपुर के लेकसिटी प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता में यह ऐलान किया। उन्होंने दावा किया कि जनता अपने सुख-दुख में साथ खड़े रहने वाले जननेता को चाहती है। उन्होंने भाजपा सहित मौजूदा सत्तासीन कांग्रेस सरकार के प्रतिनिधियों पर भी जनता की उपेक्षा का आरोप लगाया। सहानुभूति वोट के संदर्भ में उन्होंने कहा कि वल्लभनगर विधायक गजेन्द्र सिंह शक्तावत के असामयिक निधन के बाद ही पालिका चुनाव हुए और उसमें सहानुभूति का कोई फैक्टर नहीं रहा। जनता सेना ने पालिका में बहुमत प्राप्त किया। ऐसे में जनता सेना को विश्वास है कि जनता के साथ खड़े रहने वाले को ही जनता चुनेगी। भाजपा और मेवाड़ के वरिष्ठ भाजपा नेता गुलाबचंद कटारिया से मनमुटाव पर उन्होंने कहा कि उनकी ओर से कोई मनमुटाव नहीं है। वे जब भी कटारिया से मिलते हैं, पहले वे (भीण्डर) नमस्कार करते हैं और पूछते हैं कि भाईसाब क्या हाल चाल हैं। भीण्डर ने कहा कि वे कटारिया का पहले भी सम्मान करते थे और अब भी करते हैं। हालांकि, इस बात पर पत्रकारों ने जब यह पूछा कि इसका क्या अर्थ निकाला जाए, तो उन्होंने कहा कि यह आप पर निर्भर करता है कि आप क्या अर्थ निकालते हैं। हालांकि, प्रत्याशी तय करने के सवाल पर उन्होंने बिना किसी पार्टी का नाम लेते हुए कहा कि हमारी पार्टी वैसी नहीं है कि जहां एक नेता बैठकर सबकुछ तय कर ले। जनता सेना में सामान्य कार्यकर्ता को स्वतंत्रता है कि वह प्रमुख को भी आकर कह सकता है कि कुछ गलत हुआ है। दिल्ली के किसान आंदोलन पर सवाल के जवाब में भीण्डर ने कहा कि नए प्रावधानों को पहले समझाया जाना चाहिए था, फिर लागू करना था। प्रावधानों को किसानों के हित में बताते हुए भीण्डर ने कहा कि राजनाथ सिंह ने तो फार्म इंश्योरेंस का विचार रखा था जिसमें पांच साल की और उपज का बीमा होता और उतनी उपज नहीं होने पर भरपाई के रूप में बीमा कम्पनी उसका भुगतान करती। हालांकि, यह प्रावधान अभी चर्चा में नहीं आया है, लेकिन किसान हित में होने के बावजूद इन बिलों को केन्द्र सरकार किसानों को ठीक से समझा नहीं पाई है। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल/संदीप

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