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कोरोना की चुनौतियों पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

जोधपुर, 26 मई (हि.स.)। क्वींसलैंड विश्वविद्यालय, अमेरिका की प्रो एंजलिन चांग ने कोरोना की पहली लहर में भारत की बढ़त को मिल का पत्थर बताते हुए दूसरी लहर में कमजोर प्रदर्शन को आश्चर्यजनक बतलाया। उनके अनुसार कोरोना संकट मानव सभ्यता पर संकट है। सभी देशों के सम्यक प्रयासों से इस महामारी से निदान संभव है। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन विभाग तथा अंतरराष्ट्रीय राजनीति विज्ञान संघ की रिसर्च कमेटी 18 के संयुक्त तत्वाधान में कोरोना महामारी से मुकाबला: प्रशासन तथा नागरिक समाज के समक्ष चुनौतियां विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। वे इस वेबीनार में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधन दे रही थी। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय, उदयपुर के प्रो संजय लोढ़ा ने शासन प्रक्रिया तथा नीति निर्माण में जन सहभागिता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कोरोना संकट में सरकार की विफलता के कारणों को इंगित किया। उनके अनुसार पिछले 16 महीने से संसद गायब है तथा विचार विमर्श की संपूर्ण प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है। विचार विमर्श के अभाव ने कोरोना संकट को अधिक बढ़ाया है। उनके अनुसार मजदूरों के पलायन के संदर्भ में सरकारों ने मुंह मोड़ा। इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी चोट पहुंची है लेकिन नागरिक समाज के प्रयास इस संदर्भ में अनुकरणीय है। सरकारों द्वारा सामाजिक पूंजी की अवहेलना करना भारी पड़ रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/सतीश/संदीप

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