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इस तरह तो कोई किसी को अस्पताल ड्रॉप करने की मदद भी नहीं करेगा - उदयपुर सिटीजन सोसायटी

उदयपुर, 10 जून (हि.स.)। उदयपुर सिटीजन सोसायटी ने राजकीय महाराणा भूपाल चिकित्सालय में डिजिटल पार्किंग की नई व्यवस्था पर हैरानी जताते हुए कहा है कि इस नई व्यवस्था से तो कोई किसी को अस्पताल या इमरजेंसी तक ड्रॉप करने की मदद करने से भी हिचकिचाएगा। सोसायटी के अध्यक्ष क्षितिज कुम्भट ने गुरुवार को जारी वक्तव्य में कहा कि उदयपुर में संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में पार्किंग के नाम पर प्रवेश द्वार पर ही शुल्क वसूलने की व्यवस्था पहले ही दिन विवाद में आ गई है। पूरा शहर इससे नाराज है। ऐसी व्यवस्था जयपुर के एसएमएस, जोधपुर, कोटा सहित देश के अन्य बड़े सरकारी अस्पतालों में भी नहीं है। इस व्यवस्था का मॉडल कहां से लिया गया है, यह भी विचारणीय है। कुम्भट ने कहा कि यदि कोई किसी अपरिचित बुजुर्ग को अथवा किसी चोटिल व्यक्ति को अस्पताल तक ड्रॉप करने की मंशा रखता है तो वह एक बार इस पार्किंग शुल्क के झंझट में फंसने के बाद दुबारा किसी की मदद करने की भावना को ही खत्म कर देगा। इतना ही नहीं, मरीज के परिजनों को दिन में चार बार आना-जाना पड़े तब क्या स्थिति बनेगी। कोरोना महामारी के दौरान जब मरीज के लिए हर क्षण जीवन-मृत्यु के बीच की परीक्षा का हो तब यदि परिजनों को बार-बार आना जाना पड़ेगा तब हर बार इन केबिनों पर लगी कतार में खड़े रहकर वे कितने परेशान होंगे, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। कोई यदि ऑटो लेकर आता है तो ऑटो वाला भी ड्रॉप करके चला जाता है अब उसके किराये में 10 रुपये पार्किंग के और जुड़ जाएंगे जो सीधे मरीज की जेब पर भार होगा। अस्पताल में परामर्श लेने में जितना खर्च नहीं होता, उतना तो परामर्श लेने के लिए पहुंचने पर हो जाएगा। यदि कोई पानी पीने के लिए अस्पताल परिसर की प्याऊ तक जाना चाहेगा तब भी उसे शुल्क चुकाना होगा। वरिष्ठ नागरिक जो अपनी दवाएं लेने अस्पताल के भीतर स्थित उपभोक्ता भण्डारों पर नियमित रूप से जाते हैं, उनको भी परेशानी झेलनी होगी। इतना ही नहीं, केबिन सीधे प्रवेश द्वार के नजदीक रख दिए गए हैं जो अस्पताल प्रशासन की अदूरदर्शिता को दर्शाता है। अध्यक्ष क्षितिज कुम्भट, सचिव कमल नाहटा, सदस्य गजेन्द्र भंसाली सहित सोसायटी के सभी सदस्यों ने इस व्यवस्था को अव्यावहारिक और अलोकतांत्रिक बताते हुए इसे तुरंत सहज करने की जरूरत बताई है। जो व्यवस्था क्षेत्रवासियों की नाराजगी का कारण बने, उसे सही कैसे माना जा सकता है। उन्होंने प्रशासन से यह भी आग्रह किया कि आगे से ऐसे संवेदनशील स्थलों पर जनता से जुड़े निर्णयों से पहले शहर के प्रबुद्धजनों से राय अवश्य ली जाए। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल/संदीप

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