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ऑनलाइन सेशन में प्रतिभागियों ने रंग बिरंगी लाख की चूड़िया बनाना सीखी

जयपुर,22 जून(हि.स.)। जवाहर कला केंद्र (जेकेके) ने जूम के माध्यम से वरिष्ठ कलाकार अवाज मोहम्मद द्वारा 'बज़िंग बैंगल्स' सेशन का ऑनलाइन का आयोजन किया। सेशन में रंग बिरंगी लाख की चूड़ियां बनाना, इन चूड़ियों को बनाने के लिए विभिन्न उपकरणों का उपयोग, लाख से ज्वैलरी और एक्सेसरीज बनाने के बारे में बताया। इस दौरान कलाकार ने लाख और उससे जुड़े इतिहास का संक्षिप्त परिचय भी दिया। कलाकार ने कहा कि राजस्थान में लाख का कार्य बहुत समृद्ध शिल्प है, जो कि सदियों से राजस्थान में प्रचलित है। लाख पीपल, कुसुम और बड़ के पेड़ों से निकलने वाला एक काला, लसदार और चिपचिपा राल है। लाख को कई बार धोने के बाद बाजारों में तैयार उत्पाद प्राप्त होता है। परिवार में सबसे पहले महिलाओं को लाख का काम सिखाया जाता है, ताकि अगर वे परिवार में एकमात्र कमाने वाली सदस्य हैं, तो वे अपनी आजीविका चला सकें और अपने बच्चों का भरण-पोषण कर सकें। लाख का उपयोग ज्वैलरी, मूर्तियां, घर के लिए सजावटी सामान और पेंटिंग बनाने के लिए किया जा सकता है। आज के समय में 'लाख' विलुप्त होता हुआ शिल्प है। इसे लोहे, कांस्य, प्लास्टिक और कांच से बदला जा रहा है। इस परंपरागत कला को जीवित रखने के लिए शिल्प का अभ्यास करते रहने की आवश्यकता है। सेशन के दौरान, कलाकार ने दिखाया कि कैसे कोयले की सिगरी पर लोहे की 'कढ़ाई' में राल के साथ लाख को पिघलाया जाता है। इसके बाद इसमें सोपस्टोन पाउडर मिलाकर लाख तैयार किया जाता है। पिघले हुए लाख को लगातार दबाया जाता है और विभिन्न लकड़ी के औजारों की मदद से सपाट लोहे की प्लेट पर घुमाया जाता है। रंगीन लाख को एक साथ गर्म किया जाता है और फिर लाख पर समान रूप से लगाया जाता है। लाख के बेस पर रंग लगाने के बाद इसे फिर से एक पतली कुंडल में आकार दिया जाता है और लाख की प्लेन रॉड से काट दिया जाता है। अर्ध-निर्मित चूड़ी को उचित आकार में समायोजित करने के लिए एक गोल लकड़ी की बीम में रख दिया जाता है। फिर चूड़ियों को सुखाने के लिए अलग रख दिया जाता है। सफेद रंग बनाने के लिए गर्म लाख में टाइटेनियम मिलाया जाता है। इसके बाद विभिन्न रंग बनाने के लिए हरे, नीले, गुलाबी, सुनहरा, पीले जैसे प्राकृतिक स्टोन कलर्स को मिलाया जा सकता है। हिन्दुस्थान समाचार/दिनेश/ ईश्वर

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