अलविदा 2020 : सियासी गलियारों में गूंजती रही बगावत व बाड़ाबंदी की कहानियां
जयपुर, 28 दिसम्बर (हि. स.)। साल 2020 कई ऐतिहासिक घटनाओं के कारण याद किया जाएगा। इस साल मध्यप्रदेश और गुजरात के विधायकों के पॉलिटिकल टूरिज्म हुए तो सचिन पायलट समेत 19 विधायकों की बगावत भी सुर्खियों में रही। 34 दिन तक सरकार को बाड़ाबंदी में रहना पड़ा तो राजभवन का घेराव भी ऐतिहासिक घटना साबित हुई। कोरोना ने कुछ सियासी शख्सियतों को छीन लिया तो राजनीतिक संकट का सुखद अंत भी यादगार रहा। इस साल को कई सियासी घटनाओं के कारण याद किया जाएगा। पहले सरकार बचाने के लिए मध्यप्रदेश के विधायकों को राजस्थान में बाड़ाबंदी कर लाना पड़ा, फिर राज्यसभा चुनाव के लिए गुजरात के विधायकों की जयपुर में बाड़ाबंदी हुई। राज्यसभा चुनाव के लिए खुद राजस्थान के विधायकों की 10 दिन के लिए बाड़ेबंदी हुई। इसके बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री रहते हुए सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी। आनन-फानन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कांग्रेस समेत निर्दलीय विधायकों को 34 दिनों तक बाड़ाबंदी में रहना पड़ा। केंद्रीय नेतृत्व के दखल से सचिन पायलट कैंप की वापसी हुई। इस दौरान राजभवन का कांग्रेस पार्टी की ओर से घेराव चर्चा का विषय रहा। इस पूरे प्रकरण का असर यह पड़ा कि राजस्थान में पूरी कांग्रेस पार्टी को बदल दिया गया। प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा बनाए गए तो कांग्रेस के पूरे संगठन को भंग कर दिया गया। राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे को भी विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद हटा दिया गया, उनकी जगह अजय माकन को राजस्थान का नया प्रभारी बनाया गया। कोरोना के चलते विधायक कैलाश त्रिवेदी और किरण माहेश्वरी का निधन हुआ। मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल का भी लंबी बीमारी से निधन हुआ। ऐसे में राजस्थान विधानसभा के 3 विधायकों का निधन पद पर रहते हुए हुआ तो आधा दर्जन पूर्व विधायकों और पूर्व मंत्रियों की जिंदगी भी कोरोना ने लील ली। साल 2020 में नगर निगम चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 6 में से 4 निगम में जीत मिली तो वहीं पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस सरकार में रहते हुए भी बुरी तरीके से हारी। इसके बाद हुए निकाय चुनाव में कांग्रेस ने संतोषजनक प्रदर्शन किया। कोटा के जेके लोन अस्पताल में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत पर 4 जनवरी को सचिन पायलट ने अस्पताल का दौरा किया और इस दौरान उन्होंने अपनी ही सरकार को घेरा। साथ ही बच्चों की मौत पर जिम्मेदारी तय करने की बात कही। 20 जनवरी को सचिन पायलट ने कांग्रेस अध्यक्ष पद पर 6 साल पूरे किए। पायलट ने पूर्व अध्यक्ष परसराम मदेरणा का रिकॉर्ड तोड़ा। मध्यप्रदेश के विधायकों को 11 मार्च को जयपुर लाया गया। यह सभी विधायक 15 मार्च को वापस मध्यप्रदेश लौट गए। 12 मार्च को गुजरात कांग्रेस के विधायकों को राज्यसभा चुनाव में तोडफ़ोड़ से बचाने के लिए जयपुर लाया गया। सभी विधायक 24 मार्च को वापस गुजरात लौट गए। कोरोना के चलते राज्यसभा चुनाव स्थगित कर दिए गए। राज्यसभा चुनाव में राजस्थान के सांसदों की पहली बार बाड़ाबंदी हुई। मार्च में नीरज डांगी और केसी वेणुगोपाल को राज्यसभा सांसद का उम्मीदवार बनाया गया। 26 मार्च को होने वाले राज्यसभा चुनाव को कोरोना के चलते स्थगित किया गया। चुनाव की तारीख 19 जून तय की गई। 10 जून को राजस्थान में पहली बार खरीद-फरोख्त की शिकायत एसओजी तक पहुंची। 10 जून को राजस्थान की सीमाएं सील की गईं और मुख्य सचेतक ने एसीबी में सरकार अस्थिर करने के प्रयासों का मामला दर्ज कराया। 10 जून को राजस्थान कांग्रेस के सभी विधायकों को बाड़ाबंदी में कर दिया गया। चुनावों में कांग्रेस के दोनों राज्यसभा सांसद पद के प्रत्याशियों को जीत मिली। डीजल पेट्रोल की कीमतों के खिलाफ 29 जून को अध्यक्ष के तौर पर सचिन पायलट का अंतिम प्रदर्शन भी बना। भाजपा की ओर से खरीद-फरोख्त के आरोप लगाने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ 10 जुलाई को विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया। राजनीतिक उठापटक के बाद राजस्थान के इतिहास के सबसे लंबे अध्यक्ष रहे सचिन पायलट को बर्खास्त किया गया। उनकी जगह डोटासरा को नया अध्यक्ष बनाया गया। डोटासरा के साथ ही यूथ कांग्रेस की कमान विधायक गणेश घोघरा और सेवा दल की कमान हेम सिंह शेखावत को दी गई। पॉलिटिकल क्राइसिस के बाद पायलट कैंप की वापसी के साथ ही प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे की 16 अगस्त को राजस्थान प्रभारी पद से छुट्टी कर दी गई। पांडे की जगह कांग्रेस महासचिव अजय माकन को राजस्थान का नया प्रभारी बनाया गया। पायलट और बागी विधायकों के मुद्दों को सुनने के लिए राष्ट्रीय कांग्रेस ने 17 अगस्त को 3 सदस्य कमेटी बनाई, जिसमें अजय माकन, केसी वेणुगोपाल और अहमद पटेल को रखा गया। इसी बीच अहमद पटेल के निधन के चलते अब इस कमेटी की रिपोर्ट पर संशय पैदा हो गया है। प्रदेश प्रभारी अजय माकन पहली बार 31 अगस्त को जयपुर आए। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट से मुलाकात की तथा 1 सितंबर को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से फीडबैक लिया। इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन के चलते उन्होंने फीडबैक कार्यक्रम रद्द कर दिया। उन्होंने दोबारा 9 सितंबर को अजमेर और 10 सितंबर को जयपुर संभाग का दौरा किया। माकन ने आते ही जिलों के प्रभारी मंत्रियों में बदलाव किया। 7 सितंबर को सचिन पायलट ने अपना जन्मदिन मनाया। उनके समर्थकों ने पायलट के 43वें जन्मदिन पर 43000 यूनिट ब्लड डोनेशन किया। एक अक्टूबर को हाथरस जाने से पहले प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के साथ यूपी के प्रशासन की ओर से किए गए दुव्र्यवहार के विरोध में राजस्थान कांग्रेस के विधायक और मंत्रियों ने जयपुर के अंबेडकर सर्किल पर धरना प्रदर्शन किया। पायलट और उनके साथ रहे विधायकों के अलावा भी तीन विधायक ऐसे रहे जिन्होंने पॉलिटिकल क्राइसिस समाप्त होने के बाद अपने ही मंत्रियों और प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोला। इनमें कोटा से सांगोद विधायक भरत सिंह, 13 अक्टूबर को कांग्रेस विधायक बाबूलाल कठूमर और 11 दिसंबर को विधायक इंदिरा मीणा ने अपनी ही सरकार पर अनदेखी करने के आरोप लगाए। मार्च 2019 में राहुल गांधी के सामने कांग्रेस की सदस्यता लेने वाले घनश्याम तिवारी ने 12 दिसंबर को वापस अपनी पार्टी भाजपा में घर वापसी कर ली। इस दौरान कई केन्द्रीय मंत्री व विधायक कोरोना संक्रमित भी हुए। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप-hindusthansamachar.in